गांव में ऊंट चराने वाला शख्स जब बना IPS...हवलदार से अफसर बनने के लिए करना पड़ा कड़ा संघर्ष

करियर डेस्क. IPS success story Vijay Singh Gurjar: आज के समय में बच्चों पर सरकारी नौकरी पाने का एक जुनून सा सवार है। एक नौकरी के लिए बच्चे दिन-रात मेहनत कर सिर खपा रहे हैं। ऐसे ही राजस्थान का एक गरीब लड़का भी सरकारी नौकरी के लिए पढ़ रहा था। उसके लिए एक नौकरी पा लेना ही बड़ी बात थी। पढ़ाई का खर्च उठाने और परिवार को पालने के लिए वो गांव में ऊंट चराता था और खेतों में जुताई के लिए उन्हें ट्रेनिंग भी देता था। इन्ही ऊंटों को वो पुष्कर मेले में ले जाकर बेच देता था। उससे जो कमाई होती उससे वो अपने परिवार और पढ़ाई के खर्च में लगाता था लेकिन ये कमाई चंद रुपयों में थी। ऐसे में उसने सरकारी नौकरी के लिए सोचना शुरू कर दिया। दिल्ली पुलिस में उसकी हवलदार की नौकरी भी लग गई लेकिन अब उसने सफलता का स्वाद चख लिया था।

 

छोटी सी कोशिश के बाद उसने बड़े सपने देखे और अफसर बनने की ठान ली। इस सपने को पूरा करने रास्ते में आई 6 सरकारी नौकरियों को भी ठुकरा दिया। ये कहानी है कच्चे घर में रहकर जिंदगी गुजारने वाले IPS अफसर विजय सिंह गुर्जर की।

 

IPS सक्सेज स्टोरी में आइए जानते हैं कैसे विजय ने कड़ी मेहनत से सेल्फ स्टडी से अफसर बनकर दिखाया।

Asianet News Hindi | Published : Aug 15, 2020 8:49 AM IST / Updated: Aug 15 2020, 03:52 PM IST

111
गांव में ऊंट चराने वाला शख्स जब बना IPS...हवलदार से अफसर बनने के लिए करना पड़ा कड़ा संघर्ष

विजय गुर्जर का नाम संघर्ष, मेहनत और कामयाबी की मिसाल है। बुलंद हौसलों के दम पर ऊंची उड़ान भरने और सफलता की सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ने वाले विजय राजस्थान के झुंझुनूं जिले में नवलगढ़-उदयपुरवाटी मार्ग पर स्थित गांव देवीपुरा के रहने वाले हैं। लक्ष्मण सिंह के बेटे विजय किसानी करते थे। इससे उनके घर की हालत बेहतर नहीं हो पाती थी। ऐसे में वह ऊंटों को जुताई के लिए ट्रेंड करते थे। ट्रेंड ऊंट को वह पुष्कर मेले में बेचने का काम करते थे। इससे घर का खर्च चल जाता था लेकिन, फिर भी बड़ी जगह से पढ़ाई के लिए पूरा नहीं था।

211

ऐसे में विजय के पिता ने उन्हें संस्कृत से शास्त्री करने की सलाह दी। विजय ने पढ़ाई पूरी की और नौकरी की तलाश में लग गए। इसके बाद वह नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गए लेकिन, यहां किसी तरह की नौकरी नहीं मिली। इस बीच उनके एक दोस्त ने उन्हें कांस्टेबल में भर्ती निकलने की बात बताई। वह दिल्ली में ही कांस्टेबल की तैयारी करने लगे। पेपर दिए और 100 में 89 नंबर पाए जून 2010 में उन्होंने कांस्टेबल के पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली।

311

अमूमन लोग एक बार सरकारी नौकरी लगने के बाद उसी में जिंदगी खपा देते हैं, मगर इस मामले में विजय सिंह गुर्जर की कहानी सबसे जुदा और प्रेरणादायी है। विजय ने बताया कि वे एक बार नहीं बल्कि छह बार सरकारी नौकरी पा चुके हैं। दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल से आईपीएस बनने तक का सफर तय कर लिया, मगर सिलसिला अभी भी नहीं रुका। वो आईएएस बनने की तैयारी करने की बात करते दिखे।

411

अपनी सफलता का राज विजय बताते हैं कि वे किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। परिवार में कोई ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है। मैं खुद औसत विद्यार्थी रहा हूं। कोई गाइडेंस देने वाला भी नहीं था लोग बल्कि मजाक ही उड़ाते थे कि सरकारी नौकरी लग जाए यही बड़ी बात होगी। विजय ज्वाइंट फैमिली में कच्चे मकान में रहकर पढ़ाई करते थे।

511

फिर 2010 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल पद पर नौकरी मिली तो उन्हें लगा कि दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर पद के लिए तैयारी शुरू करनी चाहिए। इसमें वो सफल रहे। तब एक ही बात समझ आई कि व्यक्ति सही लक्ष्य तय करके मेहनत करे तो आगे जरूर बढ़ सकता है। फिर उन्होंने यूपीएससी की बारे में जाना और सेल्फ स्टडी से ही तैयारी शुरू की। विजय नौकरी करने के साथ ही 6 घंटे पढ़ाई कर तैयारी करते रहे।

611

आईपीएस विजय सिंह गुर्जर का परिवार वर्ष 1987 में देवीपुरा गांव के किसान लक्ष्मण सिंह व चंदा देवी के घर पैदा हुए विजय सिंह गुर्जर पांच भाई बहनों में तीसरे नंबर के है। इनके छोटे भाई अजय गुर्जर पड़ोस के गांव लोहार्गल में पटवारी के पद पर तैनात हैं। तीन बहन सुमित्रा, मैनावती व प्रियंका है। विजय सिंह गुर्जर की शादी वर्ष 2015 में सीकर के गांव भादवासी की सुनिता के साथ हुई है।

711

प्रतियोगी परीक्षा​ओं की तैयारी फिर भी जारी रही और दो साल बाद जनवरी 2013 में विजय गुर्जर का चयन सेंट्रल एक्साइज में इंस्पेक्टर के पद पर हो गया तो केरल के तिरुवनंतपुरम में सालभर रहे और फरवरी 2014 में आयकर विभाग दिल्ली में इंस्पेक्टर बन गए। सिविल सर्विसेस में चयन होने तक यहां पर सेवाएं दी।

811

बतौर गुजरात कैडर आईपीएस अफसर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे विजय राजस्थान प्रशासन सेवा (आरएएस) में भी चयनित हो चुके हैं। आएएस परीक्षा 2013 में इन्होंने 556वीं रैंक और आरएएस परीक्षा 2016 में 456वीं रैंक प्राप्त की। विजय गुर्जर का लक्ष्य आईएएस बनने का था। इसलिए उन्होंने बतौर आरएएस ज्वाइन करने की बजाय अपनी सिविल सर्विसेस की तैयारी जारी रखी। विजय को अफसलता का मुंह भी देखना पड़ा।

911

सिविल सर्विसेस 2013, 2014 और 2015 में प्रारम्भिक परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाए। फिर 2016 में सिविल सर्विसेस की फाइनल लिस्ट तक पहुंच सके। चार के असफलत प्रयास भी विजय की हिम्मत नहीं तोड़ पाए। पांचवें प्रयास में साल 2017 में यूपीएससी की परीक्षा में 574वीं रैंक हासिल की। IPS बनने के बाद ही विजय ने सबसे पहले अपनी मां के लिए अलग एक पक्का घर बनाकर दिया था।

1011

आईपीएस विजय सिंह गुर्जर की शिक्षा विजय सिंह गुर्जर बताते हैं कि उनकी शिक्षा हिंदी माध्यम से हुई। गांव देवीपुरा के निजी स्कूल से दसवीं कक्षा द्वितीय श्रेणी से 54.5 प्रतिशत और 12वीं कक्षा प्रथम श्रेणी से 67.23 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की।

1111

इसके बाद राजकीय संस्कृत आचार्य कॉलेज चिराना से संस्कृत संकाय में 54.5 प्रतिशत अंकों के साथ ग्रेजुएशन की। वो कड़ी मेहनत और अपने लक्ष्य पर फोकस रहने को ही सफलता का मंत्रा बताते हैं। वो कहते हैं कि एक बार ठान लो और एक अच्छी स्ट्रेटजी बनाकर तैयारी करो तो सफलता जरूर मिलेगी।

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos