गर्व करने वाला पल: भारत-चीन सीमा पर इस बेटी को मिली बड़ी जिम्मेदारी, जानिए इनके बारे में...

करियर डेस्क : महिलाएं किसी भी चीज में पुरुषों से पीछे नहीं है। आजकल हर फील्ड में औरते, आदमियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। हाल ही में भारतीय सेना में पुरुषों के बराबर ही महिलाओं को भी नियुक्ति दी जा रही है। अब सीमा सड़क संगठन (BRO) के तहत सड़क निर्माण कंपनी (RCC) में ऐसे ही एक सीनियर पद पर एक महिला सैन्यकर्मी की तैनाती की है। मेजर आइना राणा (Major Aaina Rana) भारत-चीन बॉर्डर से जुड़े सड़क कनेक्टिविटी का काम बखूबी संभाल रही है और ऐसा करने वाली वह बीआरओ की कमान संभालने वाली पहली महिला सैन्य अफसर बन गई हैं। आइए आपको बताते हैं, इस महिला मेजर के बारे में....

Asianet News Hindi | Published : Sep 16, 2021 9:07 AM IST

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गर्व करने वाला पल: भारत-चीन सीमा पर इस बेटी को मिली बड़ी जिम्मेदारी, जानिए इनके बारे में...

8 सितंबर 2021 को सरकार ने एनडीए में भी महिलाओं के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। अभी तक लड़िकयां केवल नर्सिंग सर्विस में आर्मी ज्वॉइन करती थीं, लेकिन 1992 में सरकार ने नॉन-मेडिकल कोर में भी महिलाओं के भर्ती को मंजूरी दे दी। इसके बाद महिला फाइटर प्लेन उड़ाने से लेकर सीमावर्ती इलाकों में भी ड्यूटी कर रही हैं।

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15 दिन पहले सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सड़क निर्माण कंपनी (आरसीसी) की कमान मेजर आइना राणा को दी है। जिनकी पोस्टिंग उत्तराखंड के जोशीमठ के पास पीपलकोठी में हुई है, जबकि उनकी यूनिट माना पास पर तैनात है। 

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बता दें कि मेजर आइना राणा भारत-चीन बॉर्डर से जुड़े सड़क कनेक्टिविटी (बीआरओ) की कमान संभालने वाली पहली महिला सैन्य अफसर बनी हैं। बीआरओ की स्थापना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1960 में की थी। इस संगठन का काम ऐसी जगहों पर बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्टर बनाना है, जहां भारतीय सेना पहुंचकर इन इलाकों की रक्षा कर सके।

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भारतीय सेना में 9 साल ड्यूटी के बाद मेजर आइना राणा को हिमालयी क्षेत्र स्थित भारत-चीन सीमा पर रोड कनेक्टिविटी की जिम्मेदारी दी गई है। बता दें कि जहां मेजर आइना की पोस्टिंग हुई है, वह जगह 14,000 फीट ऊंचाई पर है और वहां काफी बर्फबारी होती है। ऐसे में सड़कों का रखरखाव बेहद चुनौतीपूर्ण है। 

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अपने काम को लेकर मेजर आइना बताती हैं, 'सेना में काम करने के दौरान हर रोज चुनौतियां मिलती हैं, इसलिए मुझे डर नहीं लगता। हां, जिम्मेदारी काफी बड़ी है। मैं स्टाफ और यूनिट की मदद से अपना बेस्ट दूंगी।'

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मेजर आइना फौज में जाने वाली अपने परिवार की पहली सदस्य हैं।  हालांकि, उनके पति मेजर अनूप कुमार आर्मी बैकग्राउंड से हैं। उनके ससुर भी सेना से रिटायर हो चुके हैं। उनका मायका हिमाचल के मंडी से है लेकिन पिछले 40 साल से वह लोग पठानकोट में रह रहे हैं।

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मेजर आइना बताती हैं, कि 'मेरे पिता का भी फौज में जाने सपना था जो पूरा नहीं हो सका। लेकिन जब उन्होंने मुझे पहली बार वर्दी में देखा, तो वो भावुक हो गए। वह कहते हैं कि मुझे कोई अफसोस नहीं है कि मैं फौज में नहीं जा पाया क्योंकि तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया है।'

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वाकई मेजर आइना ने वो बात सच करके दिखाई है, कि बेटियां घर का नाम रोशन करती हैं। आइना ने ना सिर्फ अपने घर का नाम बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। सलाम है देश की बेटी को।

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