वे कहते हैं, “अधिकांश माता-पिता यह सोचकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं थे कि इससे घर में कमाई का नुकसान होगा। कुछ एडमिशन प्रोसेस से गुजरने और एडमिशन फीस देने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि वो ज्यादा नहीं कमाते थे। पर रोहिच 'हर हाथ में कलम' के अपने सपने को खोना नहीं चाहते थे। इसिलए उन्होंने बच्चों को स्कूल लाने के बारे में सोचा।"
फिर क्या जुलाई, 2018 में रोहित ने नौकरी के साथ ही खुद बच्चों को अंग्रेजी, हिंदी और गणित पढ़ाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, उनके नए स्कूल ने क्षेत्र के बच्चों के साथ लोकप्रियता हासिल की। और एक मेकशिफ्ट क्लास में जो कभी उन्नाव स्टेशन के रेलवे ट्रैक के पास सिर्फ पांच छात्रों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था वहां रोहित आज कुल 90 छात्रों को पढ़ाते हैं। (Demo Pic)