छोटी-मोटी नौकरी के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है, इनके आइडिया देखें

बात सिर्फ लॉकडाउन में काम-धंधा बंद होने की नहीं है। रोजगार पहले से ही एक समस्या रही है। इसकी एक बड़ी वजह युवाओं में सरकारी या प्राइवेट नौकरी चाह होना है। वे मामूली-सी नौकरी के लिए परेशान होते हैं। दूसरा रोजगार के दूसरे कामों में हाथ नहीं आजमाना। लेकिन ये दो कहानियां आपकी सोच बदल देंगी। इनमें से एक कहानी 12वीं तक पढ़ी लड़की की है, जो कभी कम्प्यूटर ऑपरेटर की मामूली नौकरी करती थी। फिर टी-स्टॉल शुरू किया। आज 15-20 हजार रुपए महीने कमा रही हैं। दूसरी कहानी एक ऐसे शख्स की है, जो प्राइवेट ड्राइवर था। लॉकडाउन में नौकरी जाती रही। कोई दूसरी नौकरी नहीं मिली, तो पत्नी के साथ मिलकर चावल-राजमा बेचना शुरू किया। आज ये हर महीने एक लाख रुपए तक की बिक्री कर लेते हैं। पढ़िए दोनों कहानियां और बदलिए अपनी सोच....

Asianet News Hindi | / Updated: Dec 22 2020, 09:35 PM IST

17
छोटी-मोटी नौकरी के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है, इनके आइडिया देखें

यह हैं गुजरात के राजकोट की रहने वालीं रुखसाना हुसैन। ये कभी  रजिस्ट्रार आफिस में कम्प्यूटर ऑपरेटर थीं। उन्हें 4000 रुपए सैलरी मिलती थी। रुखसाना तंदूरी चाय अच्छी बना लेती थीं। बस फिर क्या था...इन्होंने नौकरी छोड़ी और रुखसाना द चायवाली के नाम से अपना टी स्टॉल शुरू कर दिया। अब वे 15-20 हजार रुपए महीने कमा लेती हैं। रुखसाना बताती हैं कि जब भी उनके घर में कोई आता, वो उनकी बनाई तंदूरी चाय की फरमाइश करता। हालांकि घरवाले पहले उनके टी स्टॉल खोलने से नाखुश थे, लेकिन अब उन्हें लगता है कि अच्छा हुआ। आगे पढ़ें रुखसाना की ही कहानी...

27

रुखसाना ने 2018 में टी स्टॉल खोला था। शुरुआत आधा लीटर दूध की चाय से हुई। अब रोज 10 लीटर दूध की चाय बनाकर बेचती हैं। रुखसाना शाम 5.30 बजे स्टॉल खोलती हैं और रात 9 बजे बंद। इतने कम समय में वे अच्छा-खासा कमा लेती हैं। रुखसाना आगे चलकर एक शानदार दुकान खोलना चाहती हैं। आगे पढ़ें-लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद मालूम चला कि 'अरे...ये तो लाखों का आदमी है'

37

नई दिल्ली. कभी एक सासंद के यहां मामूली सैलरी पर ड्राइवर की नौकरी करने वाला यह शख्स आज महीने में लाख रुपए तक कमा रहा है। ये हैं 35 साल के करण कुमार, जो अपनी पत्नी अमृता के साथ दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम के पास कार में फूड स्टाल लगाते हैं। पति का आइडिया और पत्नी के बने राजमा-चावल काम कर आए। करण और अमृता रोज सुबह फरीदाबाद से तालकटोरा स्टेडियम आते हैं। करण कहते हैं कि लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद बेहद तनाव में था। लेकिन अब सब ठीक हो गया। वे कहते हैं कि अब किसी की नौकरी नहीं करना। संभव हुआ, तो आगे चलकर अपना बड़ा-सा रेस्त्रां खोलेंगे। आगे पढ़ें इसी कपल की कहानी...

47

करण जिस सांसद की गाड़ी चलाते थे, उन्होंने सरकारी बंगले के सर्वेंट क्वार्टर में इनके रहने का इंतजाम किया था। चूंकि यह जॉब प्राइवेट थी, इसलिए लॉकडाउन में उन्हें निकाल दिया गया। इस बीच उन्हें अपना सामान किसी की मदद से एक गैरेज में रखना पड़ा और रात यहां-वहां गुजारनी पड़ीं। करीब दो महीने इसी कार में सोए। कभी गुरुद्वारों में लंगर खाया, तो कभी किसी से मदद ली। आगे पढ़ें इसी कपल की कहानी...
 

57

करण बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने दूसरी नौकरी पाने खूब हाथ-पैर मारे, लेकिन कहीं बात नहीं बनी। फिर घर-गृहस्थी का सामान बेचकर यह काम शुरू किया। पहले दिन अमृता ने तीन किलो चावल, आधा किलो राजमा और आधा किलो छोले बनाया था। रास्ते में कई जगह रुक-रुककर खाना बेचने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। बाद में सारा खाना भिखारियों को खिला दिया। आगे पढ़ें इसी कपल की कहानी...
 

67

लेकिन धीरे-धीरे लोग आने लगे। उन्हें अमृता के बनाए राजमा-चावल और छोले अच्छे लगे। आज अमृता रोज 8 किलो चावल, ढाई किलो राजमा, 2 किलो छोले, 3 किलो कढ़ी और 5 किलो रायता बनाकर बेचती हैं। इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि ये सुबह 11 बजे गाड़ी लेकर दुकान खोलते हैं और दोपहर 2 बजे तक सारा खाना खत्म हो जाता है। आगे पढ़ें इसी कपल की कहानी...
 

77

आज इनकी दुकान पर रोज 100 लोग आते हैं। ये हाफ प्लेट 30 रुपए, जबकि फुल 50 रुपए में बेचते हैं। इस तरह महीने में ये लाख रुपए तक का सामान बेच देते हैं। इसमें से 60-70 प्रतिशत तक इनका मुनाफ होता है। अमृता को इसके लिए तड़के 3 बजे उठना पड़ता है।

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos