ROLE MODEL: परीक्षा सेंटर में नहीं मिली थी एंट्री, खर्च चलाने के लिए पढ़ाया ट्यूशन, UPSC में ऐसे मिली सफलता

Published : Apr 19, 2021, 05:24 PM ISTUpdated : Apr 19, 2021, 05:26 PM IST

करियर डेस्क. कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में कई कम्पटीशन एग्जाम स्थगित (Postponed) कर दिए गये हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा, 2020 के पर्सनालिटी टेस्ट (साक्षात्कार) की तारीखें जारी कर दी हैं। ऐसे में हम आपको कई ऐसे IAS अधिकारियों की कहानी बता रहे हैं जो चुनौतियां को सामना करके इस मुकाम तक पहुंचे हैं। रोल मॉडल में हम आपको एक ऐसे अधिकारी की कहानी बता रहे हैं। नाम है शेखर कुमार। आइए जानते हैं कैसे किया चुनौतियां का सामना।

PREV
16
ROLE MODEL: परीक्षा सेंटर में नहीं मिली थी एंट्री, खर्च चलाने के लिए पढ़ाया ट्यूशन, UPSC में ऐसे मिली सफलता

अंग्रेजी बनी चुनौती
बिहार के रहने वाले शेखर कुमार पिता के सपने को पूरा करने के लिए UPSC की तैयारी शुरू की। शेखर हिंदी मीडियम के छात्र थे। उन्हें अपनी अंग्रेजी सुधारने में भी काफी मेहनत करनी पड़ी। 

26

बीच में छोड़ी तैयारी
शेखर कुमार जब यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे उस वक्त उनके पेरेंट्स का एक्सीडेंट हो गया। जिस कारण पिता कोमा में चले गए और मा का आधा शरीर काम करना बंद कर दिया। जिसके बाद उन्होंने तैयारी बीच में ही छोड़ दी। उसके बाद जब उनके पिता और माता की सेहत में सुधार हुआ तो उन्होंने फिर से तैयारी शुरू की। 
 

36

परीक्षा सेंटर में नहीं मिली एंट्री
पहली बार पेपर देने में वो यूपीएससी में असफल हुई। दूसरी बार मेंस की परीक्षा देने जब वह परीक्षा सेंटर 10 मिनट लेट पहुंचे। जिस कारण से उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया। इसके बाद उन्होंने तीसरी बार तैयारी की और सफलता प्राप्त की और आज वो IRS ऑफिसर हैं। 
 

46

देश में तीन लोगों की होती है पहचान
शेखर कुमार ने बताया कि उनके पिता कहते थे कि बेटा तुम्हें डीएम बनना है। क्योंकि देश में तीन लोगों की पहचान होती है। पीएम, सीएम और डीएम की इसलिए मुझे मेरे पिता हमेशा UPSC की तैयारी करने के लिए कहते थे।

56

ट्यूशन पढ़ता था
शेखर कुमार ने बताया कि उन्होंने दिल्ली से अपना ग्रेजुएशन किया। इस दौरान वो खर्च चलाने के लिए शाम को दिल्ली में ट्यूशन पढ़ाते थे। दिन में कॉलेज करने के बाद वो शाम को ट्यूशन किया। उन्होंने UPSC का पहला एग्जाम ग्रेजुएशन के दौरान दिया। उसके बाद मैंने मेहनत से तैयारी की और तीसरी बार में मुझे सफलता मिली।   

66

केंडिडेट्स को सलाह
शेखर कुमार कहते हैं कि जब मैं परीक्षा सेंटर में 10 मिनट लेट पहुंचा उस दिन मुझे टाइम का एहसास हुआ और मैं समझा गया कि वक्त की कीमत क्या है। इसलिए तैयारी करने वाले छात्र टाइम मैनेंजमेंट का ध्यान जरूर रखें और टाइम के हिसाब से ही अपन पढ़ाई की प्लानिंग करें। 

Recommended Stories