सेल्समैन के बेटे को मिली स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्कॉलरशिप, ऐसे शुरू हुआ अलीगढ़ से अमेरिका का सफर

करियर डेस्क.  कोरोना संक्रमण के कारण लाखों स्टूडेंट्स अपने फ्यूचर के बारे में सोच रहे हैं। वहीं, मनु चौहान (Manu Chauhan) का लक्ष्य फिक्स है। सितंबर में वो अपने सपनों को पूरा करने के लिए यूएसए के लिए उड़ान भरेंगे। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) से 100 फीसदी स्कॉलरशिप पाने वाले मनु को भरोसा है कि उनके सपनों को उड़ान मिल गई है। लेकिन मुन के लिए यह आसान नहीं था। आइए जानते हैं मनु ने अलीगढ़ से स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी तक का सफर कैसे तय किया।

Asianet News Hindi | Published : Jun 10, 2021 7:22 AM IST
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सेल्समैन के बेटे को मिली स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्कॉलरशिप, ऐसे शुरू हुआ अलीगढ़ से अमेरिका का सफर

पिता हैं सेल्समैन
मुन के पिता सैल्समैन हैं। मनु के परिवार की इनकम सीमित है। उनके पिता, यूपी के अलीगढ़ जिले के अकराबाद गांव में बीमा एजेंट हैं। वो अपने परिवार की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। लेकिन मेधावी छात्र मनु कम साधन में अपनी पढ़ाई पर फोकस किया। 

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गांव के स्कूल में की पढ़ाई
मनु ने बताया कि, मैंने अकराबाद गांव के स्थानीय सरकारी स्कूल में कक्षा 5 तक पढ़ाई की। फिर मेरा सिलेक्शन विद्याज्ञान स्कूल में हुआ। विद्याज्ञान स्कूल, उत्तर प्रदेश में वंचितों के लिए शिव नादर फाउंडेशन द्वारा संचालित एक आवासीय विद्यालय है। हर साल सबसे छोटे गांवों के लगभग 2,50,000 छात्र प्रवेश के लिए आते हैं और केवल 250 छात्रों का चयन होता है। उन्होंने बताया कि छुट्टियों के दौरान जब मैं घर आता था तो अपने पिता और परिवार को लोगों से कई तरह की बाते करते सुनता था। उनकी बातचीत में मैं अपनी भी राय देता था। जिसके बाद उसे एहसास हुआ कि policy making, political science में मेरा लगाव है। 

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स्वर्ण पदक भी जीता
10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में मनु को 95 फीसदी अंक मिले। उसने उत्कृष्ट प्रदर्शन का पुरस्कार भी जीता। इंट्रा-क्लास वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में बेस्ट स्पीकर का खिताब जीता और फिर 2018 में ओपन स्टेट लेवल टेबल-टेनिस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने बताया कि मेरा सपना था 

 

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कैसे शुरू हुआ स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी का सफर 
उन्होंने कहा यह दुनिया के शीर्ष यूनिवर्सिटी में से एक है और रिसर्च की बेसिक चीजें है। भारतीय यूनिवर्सिटी रिसर्च के अवसर प्रदान नहीं करते हैं। मैं बदलाव लाना चाहता हूं और इसके लिए सही पहुंच की आवश्यकता है जो स्टैनफोर्ड मुझे प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आवेदन प्रक्रिया 11 वीं कक्षा से ही शुरू होती है। मुझे स्कूल काउंसलर द्वारा परामर्श दिया गया था और यहां तक कि दिल्ली में काउंसलरों तक मेरी पहुंच थी, जिन्होंने मुझे प्रक्रिया को समझने और अपना आवेदन पत्र भरने में मदद की। मैंने सैट की परीक्षा दी और 1600 में से 1470 अंक हासिल किए।

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बोर्ड परीक्षा रद्द होने से निराशा
उन्होंने कहा कि  12वीं कक्षा के रद्द होने के फैसले से मैं खुश हैं नहीं हूं। मैं परीक्षाओं का वेट कर रहा था और 95% से अधिक अंक प्राप्त करना चाहता था। 

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कैसे किया पैसों का इंतजाम
उन्होंने कहा कि अप्लाई करनी की प्रोसेस सस्ती नहीं है। लेकिन स्कॉलरशिप के जरिए उन्होंने पेमेंट किया। कॉलेज बोर्ड की छात्रवृत्ति ने मेरी सैट परीक्षा के लिए भुगतान किया। मेरे स्कूल ने आवेदन प्रक्रिया में मेरी मदद की। वास्तव में, ऐसे कई लोग और संस्थान हैं जो उन छात्रों की मदद करते हैं जिनके पास साधन नहीं है लेकिन इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प है। 

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किस फील्ड में लेंगे डिग्री
मनु अपनी लाइफ का नया चेप्टर शुरू करने के लिए बेहद खुश है। वैक्सीन की पहली डोज ले चुके हैं और दूसरी डोज का इंतजार कर रहे हैं। वह सितंबर के पहले सप्ताह में अमेरिका जा सकते हैं। वह स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय संबंध और अर्थशास्त्र (International Relations and Economics) में स्नातक की डिग्री लेंगे।  

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