STARTUP: साइन लैंग्वेज कोर्स के बाद विदेश में जॉब का मौका, खोल सकते हैं खुद का सेंटर

करियर डेस्क. यदि आप लाइफ में कुछ अलग करना चाहते हैं। आप में सेवा का भावना है और दूसरों की खुशियों में खुश रहने का हुनर रखते हैं तो आप साइन लैंग्वेज (Sign language) इंटरप्रेटर (Interpreter) में अपना कैरियर (Carrier) बना सकते हैं। जो लोग बोल नहीं सते और सुन नहीं सकते  ये लोग  उनकी भावनाओं, आइडियाज और शब्दों को समझकर इशारों में उनसे बातचीत करते हैं। आइए जानते हैं इस कोर्स के बारे में।

Asianet News Hindi | Published : May 23, 2021 10:35 AM IST
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STARTUP: साइन लैंग्वेज कोर्स के बाद विदेश में जॉब का मौका, खोल सकते हैं खुद का सेंटर

डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और ग्रेजुएशन कोर्स
इंटरप्रेटर होठों से बिना बोले उनसे बात कर सकता है। इस कला को सीखने के लिए ही साइन लैंग्वेज का कोर्स किया जाता है। साइन लैंग्बेज इंटरप्रेटर बनकर आप डीफ एंड डंप बच्चों की जिंदगी में उम्मीद की एक नई किरण ला सकते हैं। इसके लिए डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और ग्रेजुएशन कोर्स चल रहे हैं।

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तीन माह से एक साल के कोर्स
करियर के लिहाज से स्कूल और कॉलेजों में मूक-बधिर बच्चों के अलावा सामान्य स्टूडेंट्स भी साइन लैंग्वेज सीख रहे हैं। इनको दो अहम तरीकों से पढ़ाया जाता है। मौखिक बातचीत और दूसरा
इंडियन साइन लैंग्वेज। यह कोर्स तीन माह से एक साल तक के होते हैं। इनमें साइन लैंग्वेज की बारीकी के अलावा शारीरिक अशत्तता से ग्रस्त बच्चों के शिक्षण के लिए कई अन्य कोर्स भी हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं में साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर की आवश्यकता रहती है।
 

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सरकारी विभागों में भी जरूरत
यदि आप क्रिएटिव फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं तो साइन लैंग्वेज बेहतरीन विकल्प है। शिक्षा, समाजसेवा, सरकारी क्षेत्र और बिजनेस से लेकर परफॉर्मिंग आर्ट, मेंटल हैल्थ जैसे क्षेत्रों में प्रोफशनल्स की काफी जरूरत है। सेंट्रल गवर्नमेंट में इंटरप्रेटर के लिए काफी पद हैं। यही नहीं आप खुद का स्कूल भी खोल सकते हैं, जहां डीफ एंड डंप बच्चों को एजुकेट कर उन्हें काबिल बना सकते हैं।

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विदेशों में भी अवसर
साइन लैंग्वेज में कैरियर बनाने के लिए डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कर सकते हैं। दिल्‍ली में आइएसएलआरटीसी नाम से नेशनल इंस्टिट्यूट है, जो तीन महीने के सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर डिग्री कोर्स तक साइन लैंग्वेज में कराता है। भारत में फिलहाल ऑप्शन कम हैं, लेकिन विदेशों में इसकी अच्छी डिमांड है। भारत में अब मूक-बधिर बच्चों को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। अगर आपके अंदर समाजसेवा करने का जज्बा है, तो यह फील्ड आपके लिए है।
 

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यहां से करें कोर्स
रामकृष्ण मिशन विवेकानंद, यूनिवर्सिटी
इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रनिंग सेंटर नई दिल्ली
रिहैबिलटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया, इग्नू।
 

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