2 साल का बेटा, संभालना पड़ता था पूरा घर; IAS बनने वाली इस महिला की कहानी दूसरों से बिल्कुल अलग

करियर डेस्क. कहते हैं इंसान अगर कोई चीज अपने मन में ठान ले तो उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है। केवल उसके मन में अपनी मंजिल पाने का जज्बा होना चाहिए। व्यक्ति अपनी मेहनत और जोश के दम पर बड़ा से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। आज कल अक्सर देखा जा रहा है कि कॉम्पटेटिव एग्जाम्स की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स अक्सर एक या दो बार असफल होने के बाद नर्वस हो जाते हैं। वह अपना संतुलन खो बैठते हैं उन्हें ये लगने लगता है कि अगर वह सफल न हुए तो जिंदगी में क्या कर सकेंगे। उन्हें आगे का रास्ता नहीं सूझता है।  इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2017 बैच की IAS पुष्पलता यादव की कहानी आपको बताने जा रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 6, 2020 10:20 AM IST / Updated: Mar 06 2020, 04:32 PM IST

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2 साल का बेटा, संभालना पड़ता था पूरा घर; IAS बनने वाली इस महिला की कहानी दूसरों से बिल्कुल अलग
पुष्पलता का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गांव खुसबुरा में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल से ही हुई। इसके बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के घर पर रहने लगी। वहां से उन्होंने स्नातक किया।
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आम तौर पर देखा जाता है लड़कियों की उम्र 20 हुई नहीं कि मां- बाप उनकी शादी की चिंता में लग जाते हैं। हांलाकि पुष्पलता स्नातक के बाद स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद में सिलेक्ट हो गई। लेकिन 2011 में उनकी शादी हो गई और शादी के बाद वो अपनी ससुराल मानेसर आकर रहने लगीं।
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उन्हें एक बेटा भी हो गया। लेकिन शादी के करीब चार साल बाद उन्होंने UPSC की तैयारी का मन बनाया। लेकिन उस समय ये फैसला आसान नहीं था। क्योकि ससुराल में घर सम्भालने की जिम्मेदारी के आलावा 2 साल के बेटे का पालन पोषण भी करना था। शादी के बाद उनकी किताबों से दूरी भी बन गई थी।
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उन्होंने पति को ये बात बताई तो पति ने उनका सपोर्ट किया लेकिन दिल्ली भेज कर सिविल सर्विस की तैयारी कराने में असमर्थता जताई। लेकिन पुष्पलता ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने बैंक की नौकरी से इस्तीफा देते हुए खुद से तैयारी का मन बनाया। वह सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गईं।
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पांच साल किताबों से दूरी,दो साल के बेटे का पालन-पोषण के आलावा घर की जिम्मेदारी इन सब के साथ तैयारी आसान नहीं थी। पुष्पलता ने भी ठान लिया था कि उन्हें IAS बनना है चाहे उन्हें कितनी भी तैयारी करना पड़े। उनके बच्चे को संभालने में पति व ससुराल के लोग भी मदद कर देते थे। धीरे-धीरे उनका हौसला बढ़ता गया।
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पुष्पलता ने UPSC का एग्जाम दिया। दो बार उन्हें सफलता नहीं मिली। जिसके बाद परिवार के लोग कुछ नर्वस होने लगे। लेकिन पुष्पलता ने हिम्मत नहीं हारी। अंत में साल 2017 में उन्होंने फिर से UPSC का एग्जाम दिया। इस बार वह सफल रहीं और उन्हें 80वीं रैंक मिली।
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