4 की उम्र में पिता का मर्डर, बहन को अफसर बनाने कपड़े बेचने लगा भाई...संघर्ष देखिए 'लाडली' जज बन गई...
लखनऊ(Uttar Pradesh ). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम मुरादाबाद में तैनात सिविल जज अंजुम सैफी के संघर्षों की कहानी आपको बताने जा रहे हैं।
Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2020 7:37 AM IST / Updated: Feb 07 2020, 01:11 PM IST
यूपी के मुजफ्फरनगर जिले की अंजुम सैफी ने 152वीं रैंक लाकर 2017 में PCS-J का एग्जाम को क्रैक किया था। अंजुम का जीवन संघर्षो से भरा रहा। जब अंजुम 4 साल की थी उसी समय उसके पिता की बदमाशों द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। अंजुम 7 भाई बहनों में 6वें नंबर पर है। पिता की मौत के बाद अंजुम के भाइयों ने उसका सपोर्ट किया।
अंजुम के पिता रशीद अहमद होटल चलाते थे। अंजुम के बड़े भाई दिलशाद ने बताया मार्च 1992 में उनके पिता होटल के बगल ही एक दुकान पर खड़े थे।इसी बीच लगभग आधा दर्जन बदमाश पहुंचे और उस दुकानदार को रंगदारी न देने को लेकर पीटना शुरू कर दिया। अंजुम के पिता जब दुकानदार के बचाव में आए तो बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी। गोली उनके सीने में लगी जिससे उनकी मौत हो गई।
पिता की मौत के समय अंजुम की उम्र केवल चार साल थी। लेकिन अंजुम के बड़े भाई दिलशाद ने 16 साल की उम्र में ही पिता के व्यवसाय को सम्भालने का प्रयास किया लेकिन सफलता नही मिली। एक महीने में ही होटल बंद हो गया। जिसके बाद दिलशाद ने एक रेडीमेड कपड़े की दुकान पर नौकरी कर ली। बेहद कम सैलरी के बाद भी किसी तरह परिवार चलने लगा। इसके बाद दिलशाद ने जूते की छोटी सी दुकान खोली लेकिन वह भी नही चल पाई। इन संघर्षों के बाद भी दिलशाद ने कभी अंजुम को पिता की कमी महसूस नही होने दी।
अंजुम की पढ़ाई मुजफ्फरनगर में ही पूरी हुई। डीएवी कालेज से लॉ करने के बाद अंजुम ने शहर के ही कमल क्लासेज में कोचिंग शुरू कर दी। कोचिंग अंजुम के घर के नजदीक थी।अंजुम अपने कोचिंग की सबसे अच्छी स्टूडेंट थी। अंजुम के टीचर उसके भाइयों से हमेशा अंजुम की तारीफ़ करते थे। अंजुम के भाई दिलशाद बताते हैं कि लोग कहते थे कि दिल्ली या बड़े शहरों में कोचिंग करने वाले बच्चे ज्यादातर सिलेक्ट होते हैं। लेकिन अंजुम हमेशा अपने घर में यही कहती थी कि मुझे पूरा भरोसा है और मै यहीं पढ़ कर सिविल एग्जाम क्रैक करूंगी।
मुजफ्फरनगर में सितम्बर 2013 में जब मुजफ्फरनगर दंगों की आग में जल रहा था उस समय भी अंजुम कोचिंग जाती थी। अंजुम के भाई दिलशाद बताते हैं कि लोग हमसे कहते थे कि इस कोचिंग में सारे टीचर हिन्दू हैं और आप मुस्लिम। हालात पहले से ही खराब हैं ऐसे में अंजुम की कोचिंग बंद करा दीजिए। लेकिन मैंने कभी ये बातें नही मानी। मै हमेशा हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई वाले जुमले पर यकीन करता हूँ।
दिलशाद बताते हैं 2016 में जब अंजुम ने PCS-J का एग्जाम दिया तो वह इतनी कांफीडेंट थी कि उसने पहले ही बता दिया था कि रिजल्ट अच्छा ही आएगा। लेकिन जब 2017 में PCS-J का रिजल्ट आया तो अंजुम सिलेक्ट हो गई थी। उसने अपने जज्बे और मेहनत के डीएम पर ये मुकाम हासिल कर लिया था।