सवाल: इंसान को गुदगुदी क्यों होती है क्या ये किसी जानवर को भी हो सकती है?
जवाब: गुदगुदी होने पर हंसी का आना विज्ञान में रिसर्च का एक बड़ा विषय रहा है। गुदगुदी दो तरह की होती है। एक नाइस्मेसिस- इसमें बदन के कुछ ख़ास हिस्सों को धीरे-धीरे सहलाने पर आपको गुदगुदी होती है। दूसरे का नाम है गार्गालिसिस- इस गुदगुदी का एहसास स्तनधारी जीवों को ही होता है। इसमें खुलकर हंसी आती है, गुदगुदी का एहसास त्वचा में छुपी उन नसों को छूने से होता है जिन पर हम किसी भी चीज़ के लगने को महसूस करते हैं जबकि खिलखिलाकर हंसना एक सामाजिक बर्ताव है।
2009 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बंदरों आदि में गुदगुदी को होते देखा गया। इनमें गोरिल्ला और बोनोबो बंदरों की आवाज़ें इंसानों के सबसे क़रीब पाई गईं। लेकिन इससे सिर्फ़ एक अच्छा-सा एहसास होता है। खुलकर हंसी नहीं आती, इस गुदगुदी का एहसास छिपकली जैसे रेंगने वाले जीवों को भी होता है।