देश सेवा के लिए लंदन से आकर बनी IAS अफसर,अब अनपढ़ महिलाओं को पढ़ाकर कर रही जिंदगी रोशन

जबलपुर. पूरी दुनिया में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाता है। महिला सशक्तिकरण और उनके कामों को सराहने के लिए इस दिन को चुना गया है। देश-दुनिया में महिलाएं हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम कर चुकी हैं। खासतौर पर सिविल सर्विस में महिलाएं अपने दमदार कामों को लेकर ज्यादा चर्चा में रही हैं। कोई दबंग और जाबांज महिला अधिकारी के रूप में फेमस है तो किसी ने गरीबी की जिंदगी ही बदल दी है। ऐसी ही एक महिला अधिकारी हैं हर्षिका सिंह। हर्षिका मध्य प्रदेश में अनपढ़ और स्कूल छोड़ चुकी महिलाओं को पढ़ा-लिखाकर साक्षर बना रही हैं।  इस महिला दिवस 2020 को आइए जानते हैं उनके कामों और संघर्ष की अनोखी कहानी....

Asianet News Hindi | Published : Mar 3, 2020 11:20 AM IST / Updated: Mar 03 2020, 05:54 PM IST

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देश सेवा के लिए लंदन से आकर बनी IAS अफसर,अब अनपढ़ महिलाओं को पढ़ाकर कर रही जिंदगी रोशन
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक कलेक्टर के रूप में तैनात हैं हर्षिका सिंह इन दिनों मीडिया छाई हुई हैं। उन्होंने जबसे जिले की कमान संभाली है तबसे इलाके के हर कोने की काया पलट दी है। हर्षिका की पोस्टिंग जहां हुई वो इलाका पूरी तरह निरक्षरता और विषम लिंगानुपात से जूझ रहा था। यहां बच्चियों को पैदा ही नहीं होने दिया जाता। अगर बेटी पैदा हो जाती तो लोग मार देते थे।
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इस सबकी एक ही वजह थी जिले में अधिकतर लोग अनपढ़ थे। खासतौर पर महिलाओं जिन्होंने कभी स्कूल नहीं देखे थे। पितृसत्ता की गहरी पैठ के कारण यहां 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को भी बोलने की परमिशन तक नहीं थी। न ही कोई लड़की घर से बाहर निकल सकती थी। ऐसे में यहां की नई कलेक्टर ने जिले की महिलाओं के लिए कुछ करने की ठान ली।
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इसके बाद उन्होंने साल 2019 की शुरुआत में एक तरह की पहल शुरू की। जिला कलेक्टर (डीसी) ने महिला ज्ञानालय विद्यालय (ऑल-वुमेन स्कूल) की स्थापना की। उन्होंने पूरे जिले में 35 स्कूल खोल दिए हैं। इनमें पढ़ाई छोड़ चुकी लड़कियों और अनपढ़ महिलाओं के लिए खास क्लास चलाई जाती है।
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देखते ही देखते ही उनके स्कूलों में पढ़ने के लिए महिलाएं और लड़कियां पहुंचने लगी और इनकी संख्या लगातर बढ़ रही है। आईएएस अफसर महिलाओं के शिक्षा को लेकर उत्साह को देखकर खुश हुईं। अब उनके स्कूलों में 20 से 30 महिलाएं पढ़ने आ रही हैं। बहुत सी महिलाएं बुजुर्ग हैं और अनपढ़ हैं लेकिन वो क,ख, ग सीखना चाहती हैं। उनको पढ़ाने के लिए स्कूल में अच्छे शिक्षक भी मौजूद रहते हैं।
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हर्षिका सिंह के इस कदम को राज्य सरकार का समर्थन मिला। ग्राम पंचायत ने भी उनको स्कूल के किए कमरे उपलब्ध करवाए। इतना ही नहीं उनके पिता और पति ने भी उनके इस कदम की सराहना की।
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आईएएस अधिकारी हर्षिका सिंह की बात करें तो रांची की रहने वाली हैं। हर्षिका सिंह यूपीएससी की तैयारी करने के लिए लंदन से लौट आई थीं। अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी पास कर ली थी। उन्होंने साल 2011 में 8 वीं रैंक हासिल की और देश सेवा के अपने सपने को पूरा किया।
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आईएएस बनने के बाद उन्होंने झारखंड और बिहार को पोस्टिंग के लिए चुना था। उन्होंने कहा कि, “महिलाओं के मुद्दे यहां बड़े हैं- चाहे वह अपराध हो या मृत्यु दर। मेरा उद्देश्य पहले महिलाओं के लिए काम करना रहेगा। वो आज ऐसा कर भी रही हैं।
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वो न सिर्फ महिलाओं को पढ़ा रही हैं बल्कि जमीं पर उतकर इसके लिए काम भी कर रही हैं। महिला शिक्षा आत्मनिर्भर रहने के लिए बहुत जरूरी है। हर्षिका सिंह अपनी इस पहल के तहत 323 स्कूल खोलकर इसे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर्षिका सिंह के जज्बे और उनके सराहनीय कामों को पूरा देश सैल्यूट करता है।
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