26/11 के आतंकी हमले में मारे गए थे इस एक्टर के जीजी-जीजा, बहन के इंतजार में 48 घंटे खड़ा रहा होटल के बाहर

मुंबई. 26 नवंबर 2008 वो तारीख, जो हर भारतीय के लिए खौफनाक सपने से भी बदतर है। इसी दिन पाकिस्तान से आए लश्कर ए तौएबा के 10 आतंकियों के तीन दिन तक चले मौत के खूनी खेल में 166 लोग अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इन 166 लोगों में बॉलीवुड एक्टर आशीष चौधरी (ashish choudhary) की बहन और जीजा भी शामिल थे। बता दें कि आशीष की बहन मोनिका छाबरिया और उनके जीजाजी अजीत छाबरिया ट्राएडंट होटल में स्थित टिफिन रेस्टोरेंट में डिनर कर रहे थे। इस दौरान दो आतंकी ने फायरिंग शुरू कर दी थी। आशीष 48 घंटे तक होटल के बाहर अपनी बहन के इंतजार में खड़े रहे थे। दो दिन बाद उन्हें अपनी बहन की मौत की खबर मिली थी। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 26, 2020 9:00 AM IST / Updated: Nov 28 2020, 09:58 AM IST

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26/11 के आतंकी हमले में मारे गए थे इस एक्टर के जीजी-जीजा, बहन के इंतजार में 48 घंटे खड़ा रहा होटल के बाहर

आशीष चौधरी ने मुंबई मिरर से बातचीत में बताया था- 26/11 मुंबई हमले के बाद मैं 40 दिनों तक डिप्रेशन में चला गया था। ये मेरे पूरे परिवार के लिए वो बहुत ही बुरा वक्त था।

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आशीष ने बताया था- उस दौरान हम सभी बहुत बुरे दौर से गुजरे। मेरे पिता की एडवर्टाइजिंग एजेंसी डीफ्रॉड हो गई थी। मेरी पत्नी समिता डिप्रेशन से जूझ रही थीं। मेरी मां का एक्सीडेंट हो गया और उनके दाहिने हाथ और रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ गया था। 

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उन्होंने बताया था- मेरा बेटा का भी हाथ टूट गया था। यहां तक कि मेरे तीन साल के डॉग की आंख की रोशनी चली गई और उसके सारे अंग खराब हो गए थे।

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आशीष अपनी बहन को याद करते हुए कहा था- मोनिका के दोनों बच्चे कनिष्क और अनन्या उस वक्त 11 और 6 साल के थे। उन लोगों ने उस वक्त सबसे बुरा दौर देखा था। 

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उन्होंने कहा- मेरी बहन सभी को खूब प्यार किया करती थीं। वह मेरी बहुत बड़ी फैन थीं। मैं जो भी करता था वह उसे बढ़ावा देती हैं। आज भी उनकी तारीफ मुझे याद आती है।

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वहीं, एक्टर विजय आनंद भी इस हमले में बाल-बाल बचे थे। वे अपनी पत्नी सोलानी खरे के साथ ताज होटल में डेट पर गए थे और वहां पहुंचने के 10 मिनट बाद ही आतंकियों ने गोलाबारी शुरू कर दी थी। 

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सोनाली ने एक इंटरव्यू में बताया था- पहले तो हमें यकीन नहीं हुआ, हमें लगा कि कोई गैंगवार हो रहा है। मैं जान बचाने के लिए पति का साथ होटल के किचन में छुप गई थी। किचन में हमारे अलावा 40 लोग और थे। 10 घंटे हम मौते के साए में वहीं छुपे रहे। हालांकि, बाद में कमांडो ने हमारी जान बचाई थी।

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