अमिताभ ने संस्कृत के इस श्लोक का हिंदी में भी अनुवाद किया है। इसमें उन्होंने लिखा- सभी से ईर्ष्या, घृणा करने वाले, असंतोषी, क्रोधी, सदा संदेह करने वाले और पराए आसरे जीने वाले ये छह प्रकार के मनुष्य हमेशा दुखी रहते हैं। अतः यथा संभव इन प्रवृत्तियों से बचना चाहिए।