फिल्म को मिला 'A' सर्टिफिकेट तो एक्टर ने गुस्से में तोड़ दिया था दरवाजा, बीवी-बच्चों को छोड़ लिव-इन में रहा

मुंबई। गुजरे जमाने के मशहूर एक्टर और फिल्ममेकर फिरोज खान (Feroz Khan) की आज 81वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 25 सितंबर, 1939 को बेंगलुरु में हुआ था। वहां से स्कूलिंग पूरी करने के बाद वे मुंबई आ गए और फिल्मों में काम करने लगे। फिरोज खान ने 1959 में नारायण काले के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'दीदी' से बॉलीवुड डेब्यू किया था। इस फिल्म में वे सेकंड लीड में थे। उनके अलावा सुनील दत्त, शोभा खोटे और ललिता पवार ने इस फिल्म में अहम किरदार निभाए थे। फिरोज खान की बड़ी बेटी लैला (Laila Khan) ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक बार पापा अपनी फिल्म को ए सर्टिफिकेट देने से इतने नाराज हुए थे कि उन्होंने कांच का दरवाजा ही तोड़ दिया था। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 24, 2020 3:16 PM IST
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फिल्म को मिला 'A' सर्टिफिकेट तो एक्टर ने गुस्से में तोड़ दिया था दरवाजा, बीवी-बच्चों को छोड़ लिव-इन में रहा

बता दें कि फिरोज खान ने 1965 में सुंदरी से शादी की थी। फिरोज और सुंदरी के तीन बच्चे हुए (लैला, फरदीन और सोनिया)। साल 2012 में सोनिया खान का कार एक्सीडेंट में निधन हो गया था। वहीं, फरदीन बॉलीवुड एक्टर हैं और उनकी शादी वेटरन एक्ट्रेस मुमताज की बेटी नताशा माधवानी से हुई है। 

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लैला के मुताबिक, ऊपरी तौर पर पापा की इमेज नो नॉनसेंस पर्सन की थी। लोग उनकी शख्सियत से भी उनका इतना लिहाज करते थे कि उनके सामने कम फटकते थे। असल जिंदगी में वे एक हद तक ऐसे थे। तभी बचपन में मुझ पर या फरदीन पर उन्हें हाथ उठाने की कभी जरूरत नहीं पड़ी। हमारी शरारतों पर लगाम लगाने के लिए उनकी एक सख्त नजर ही काफी होती थी।   

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लैला ने अपने पापा की लाइफ वैल्यूज के बारे में बताया था कि उन्होंने हमें हमेशा पैसे और जिंदगी की वैल्यू करना सिखाया। वे कहा करते थे कि पैसे तो आएंगे और जाएंगे, मगर वैल्यूज सदा साथ रहेंगी। लिहाजा बड़ों का आदर और छोटों को हमेशा प्यार देते रहना चाहिए। 

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पापा काम को बेहद जुनूनी तरीके से अंजाम देते थे। वो कहा भी करते थे कि जो भी करो, उसे पूरी शिद्दत से करो। मुझे याद है कि जब उनकी फिल्म धर्मात्मा को ए सर्टिफिकेट मिला था तो वे काफी अपसेट हुए थे। यहां तक कि उनके हाथ में कांच का ग्लास था, जिसे उन्होंने कांच के दरवाजे पर दे मारा था। हालांकि बाद में उन्हें इस बात का अफसोस हुआ था। 

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दरअसल, पापा ने यह फिल्म इतने जोश और जुनून के साथ बनाई थी कि सेंसर के रवैये पर उन्हें बड़ा गुस्सा आया था। उनकी फिल्मों के गाने आज भी खूब पसंद किए जाते हैं, क्योंकि उनकी धुनों से लेकर कोरियोग्राफी तक सबकुछ आज आज भी रेलेवेंट है। 

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बता दें कि फिरोज खान शादीशुदा होने के बावजूद एयर होस्टेस ज्योतिका धनराजगिर के प्यार में पागल थे। इतना ही नहीं उन्होंने ज्योतिका के लिए वाइफ सुंदरी को भी छोड़ दिया था और लिव-इन में रहने लगे थे। हालांकि, ज्योतिका और फिरोज की लव-स्टोरी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और दोनों अलग हो गए थे। बाद में फिरोज और सुंदरी का भी तलाक हो गया था।

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27 अप्रैल, 2009 को कैंसर की वजह से फिरोज खान का निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार बेंगलुरु में किया गया था। उन्होंने 1960 से 1980 के बीच 'रिपोर्टर राजू', 'सुहागन', 'ऊंचे लोग', 'आरजू', 'औरत', आदमी और इंसान', 'मेला', 'खोटे सिक्के' और धर्मात्मा जैसी करीब 50 फिल्मों में काम किया। 

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साल 2007 में अनीस बज्मी के डायरेक्शन में बनी 'वेलकम' फिरोज खान की आखिरी रिलीज थी। इस फिल्म में उन्होंने डॉन रणवीर धनराज (RDX) का किरदार निभाया था, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। 

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एक्टिंग के अलावा फिरोज खान ने डायरेक्शन में भी खूब नाम कमाया। बतौर डायरेक्टर उन्होंने 'अपराध', 'धर्मात्मा', 'कुर्बानी', 'जांबाज', 'दयावान', 'यलगार', 'प्रेमअगन' और 'जानशीन' जैसी फिल्में बनाईं। जिनमें से कई अपने बोल्ड कंटेंट और सुपरहिट गानों की वजह से चर्चित हुईं।

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