ऐसे मिला था जगदीप को फिल्म शोले में 'सूरमा भोपाली' का रोल, बेहद दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

मुंबई. फिल्म 'शोले' में 'सूरमा भोपाली' का किरदार निभाकर लोगों के दिलों में सालों तक राज करने वाले कॉमेडियन जगदीप का बुधवार को निधन हो गया।  81 साल की उम्र में भी वे बेहद जिंदादिली से बीमारियों से जूझ रहे थे। कोरोना लॉकडाउन के दौरान वे काफी कमजोर हो गए थे और आखिरकार 8 जुलाई को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह गए। उनके जाने से इंडस्ट्री को झटका लगा है। सेलेब्स ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के मुस्तफा बाजार मझगांव सिया कब्रिस्तान में गया। आपको बता दें कि सूरमा भोपाली का रोल करने के बाद जगदीप को लोग इसी नाम से जानने लगे थे। उन्हें ये रोल कैसे मिला इसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 9, 2020 8:59 AM IST / Updated: Jul 11 2020, 06:19 PM IST
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ऐसे मिला था जगदीप को फिल्म शोले में 'सूरमा भोपाली' का रोल, बेहद दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

शोले में सूरमा भोपाली के अलावा जगदीप ने पुराना मंदिर फिल्म में मच्छर और अंदाज अपना अपना में सलमान खान के पिता का यादगार रोल निभाया था। एक्टिंग और एक्सप्रेशन्स से फैन्स का दिल जीतने वाले जगदीप के ये किरदार आज भी लोगों के जहन में ताजा हैं।

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इस रोल से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए जगदीप ने एक इंटरव्यू में कहा था- सलीम-जावेद की एक फिल्म में मैं कॉमेडियन था। मेरे लंबे-लंबे डायलॉग थे। मैं फिल्म के डायरेक्टर के पास गया और उन्हें बताया कि डायलॉग बहुत लंबे हैं। उन्होंने कहा कि जावेद बैठे हैं, उनसे बात कीजिए।

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जगदीप ने बताया था- मैं जावेद के पास गया। उन्होंने लंबे डायलॉग को बड़ी आसानी से पांच लाइनों में समेट दिया। मैंने कहा तुमने तो कमाल ही कर दिया। इसके बाद हम रोज शाम को बैठकर किस्से और कहानियां कहते। एक बार उसने बीच में कहा कि क्या जाने किधर कहां-कहां से आ जाते हैं। मैंने पूछा कि अरे यह लहजा कहां से लाए हो, उन्होंने कहा कि यह भोपाल का है। मैंने कहा यह तो मैंने कभी नहीं सुना। यहां भोपाल का कौन है। उन्होंने कहा कि भोपाल की औरतों का लहजा है। वह ऐसे ही बात किया करती हैं।

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उन्होंने बताया था- फिल्म शोले की शूटिंग शुरू हुई। मुझे लगा कि मुझे बुलावा आएगा। लेकिन मुझे नहीं बुलाया गया। फिर एक दिन रमेश सिप्पी का फोन आया और उन्होंने कहा कि तुम्हें शोले फिल्म में काम करना है। मैंने कहा कि शूटिंग तो खत्म हो गई। इस पर उन्होंने कहा कि नहीं असली सीन अभी बाकी है। इसके बाद मैं सूरमा भोपाली बना। और जावेद ने वहीं डायलॉग मुझे बोलने के लिए दिया।

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मध्‍यप्रदेश के दतिया से ताल्‍लुक रखने वाले जगदीप ने लगभग 400 फ‍िल्‍मों में काम किया और पर्दे पर कॉमेडी की म‍िसाल पेश की। वो कैंसर और उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। फैंस उन्‍हें या तो जगदीप या सूरमा भोपाली के नाम से जानते थे। 29 मार्च 1939 को दतिया में पैदा हुए जगदीप का असली नाम था सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी। 

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मास्टर मुन्ना के नाम से उन्होंने फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट का काम शुरू किया। उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर कई फिल्मों में काम किया, लेकिन बिमल रॉय की 'दो बीघा जमीन' ने उन्हें पहचान दिलवाईं। 

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जगदीप ने तीन बहूरानियां, खिलौना, फुद्ददू, सास भी कभी बहू थी, गोरा और काला, बिदाई, आईना, एजेंद विनोद, युवराज, सुरक्षा, एक बार कहो, फिर वही रात, मोर्चा, कुर्बानी, पुराना मंदिर, शहंशाह, फूल और कांटे, अंदाज अपना अपना, चायना गेट जैसी कई फिल्मों में अभिनय कर लोगों का मनोरंजन किया था। 

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जगदीप आखिरी बार 2017 में आई फिल्म 'मस्ती नहीं सस्ती' में नजर आए थे। इसमें उनके साथ जॉनी लीवर, कादर खान, शक्ति कपूर और रवि किशन जैसे स्टार्स नजर आए थे।

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