इस सिंगर के नाम है एक दिन में 28 गानों का रिकॉर्ड, एक वजह से बना ली म्यूजिक इंडस्ट्री से दूरी: PHOTOS

मुंबई। 90 के दशक के पॉपुलर सिंगर कुमार सानू 62 साल के हो चुके हैं। 23 सितंबर, 1957 को कोलकाता में जन्मे केदारनाथ भट्टाचार्य उर्फ कुमार सानू को 1990 में आई फिल्म 'आशिकी' के गानों ने रातोंरात सुपरस्टार बना दिया। उस दौर में एक से बढ़कर एक हिट गाने देने वाले कुमार सानू ने जो कामयाबी हासिल की वो हर किसी को नहीं मिल पाती। लंबे समय से म्यूजिक इंडस्ट्री से दूर कुमार सानू ने 2015 में आई रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'दम लगाके हइशा' में कुछ गानों को अपनी आवाज दी थी। कुमार सानू के नाम एक दिन में 28 सॉन्ग गाने का रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज है। इसके साथ ही कुमार सानू के नाम लगातार पांच बार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड भी है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 23, 2019 7:43 AM IST
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इस सिंगर के नाम है एक दिन में 28 गानों का रिकॉर्ड, एक वजह से बना ली म्यूजिक इंडस्ट्री से दूरी: PHOTOS
इस वजह से म्यूजिक इंडस्ट्री से दूर हैं कुमार सानू : कुमार शानू ने लंबे समय से फिल्मों के लिए कोई गीत नहीं गाने के सवाल पर एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं अश्लीलता से जुड़े गाने नहीं गा सकता। उनके मुताबिक, आज के समय के गानों में अश्लीलता की भरमार है। गानों का कोई मतलब नहीं है। 'चार बोतल वोदका, काम मेरा रोज का...' जैसे गाने चल रहे हैं। कुमार सानू के मुताबिक, वो खुद ऐसे गाने गाकर म्यूजिक इंडस्ट्री को खराब नहीं करना चाहते।
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बांग्लादेशी फिल्म से शुरू किया था करियर : कुमार सानू ने करियर की शुरुआत साल 1986 में बांग्लादेशी फिल्म 'तीन कन्या' से की थी। वैसे, सानू को हिंदी सिनेमा में लाने का क्रेडिट दिवंगत गजल गायक जगजीत सिंह को जाता है। उन्होंने कुमार सानू को फिल्म 'आंधियां' में गाना गाने का ऑफर दिया था। जगजीत सिंह ने उनकी मुलाकात कल्याणजी आनंद से कराई और उन्हीं के कहने के बाद उन्होंने अपना नाम केदारनाथ भट्टाचार्य से कुमार सानू कर लिया था।
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किशोर दा को अपना आइडल मानते हैं कुमार सानू : कुमार सानू किशोर दा को अपना आइडल मानते हैं। साथ ही, अपनी इस ख्याति का असली क्रेडिट पिता पशुपतिनाथ भट्‌टाचार्य को देते हैं। कुमार सानू बहुत अच्छे तबला वादक भी हैं।
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कुमार सानू ने ज्वॉइन की पॉलिटिक्स : राजनीति में आने के सवाल पर कुमार सानू का कहना है कि वे दो बार राजनीति में गए। पहली बार उन्होंने 2004 में बीजेपी की मेंबरशिप ली लेकिन कुछ कारणों से छोड़ दी। हालांकि बाद में 2014 में उन्होंने दोबारा इसी पार्टी की सदस्यता ली है। उनके मुताबिक राजनीति और म्यूजिक का कोई रिलेशन नहीं है। सानू का कहना है कि वे प्रणब मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी जैसे लीडर्स को पसंद करते हैं और अच्छी लीडरशिप के लिए राजनीति से जुड़े।
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कुमार सानू के कुछ फेमस गाने : वैसे तो कुमार सानू बंगाली और अन्य भाषाओं में 20 हजार से ज्यादा गाने गा चुके हैं। उनके कुछ चुनिंदा गाने इस तरह हैं। तुझे देखा तो ये जाना सनम (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे), मेरा दिल भी कितना पागल है (साजन), एक लड़की को देखा तो (1942 ए लव स्टोरी), दो दिल मिल रहे हैं (परदेस), इक सनम चाहिए (आशिकी), दिल का आलम (आशिकी), चुरा के दिल मेरा (मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी), आंखों की गुस्ताखियां (हम दिल दे चुके सनम), जब कोई बात बिगड़ जाए (जुर्म), लड़की बड़ी अंजानी है (कुछ कुछ होता है), तेरी उम्मीद तेरा इंतजार (दीवाना), ये काली काली आंखे (बाजीगर), पहली पहली बार मोहब्बत की है (सिर्फ तुम) मेरी मेहबूबा (परदेस)।
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