जब मां की मौत पर रोने की बजाय ये काम कर रहे थे संजय दत्त, जानें पूरा किस्सा

मुंबई. संजय दत्त 61 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 29 जुलाई 1959 को मुंबई में हुआ था। कई सुपरहिट फिल्मों में काम करने वाले संजय की लाइफ काफी विवादों भरी रही है। उनकी करीब 308 गर्लफ्रेंड रही है। पर्सनल लाइफ के साथ-साथ वो नशे की लत में पड़ने के कारण भी काफी सुर्खियों में रहे थे। उनके जीवन पर आधारित 'संजू' में एक्टर के उतार-चढ़ाव के बारे में दिखाया भी गया है। उनके जन्मदिन के मौके पर संजय के जीवन से जुड़े कुछ किस्से बता रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 29, 2020 5:20 AM IST / Updated: Jul 29 2020, 12:56 PM IST
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जब मां की मौत पर रोने की बजाय ये काम कर रहे थे संजय दत्त, जानें पूरा किस्सा

संजय को बचपन से ही घर में वो सारी सुख सुविधाएं मिली जो अमूमन कम लोगों को ही नसीब होती हैं। संजय के माता-पिता दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री से थे। परिवार के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी और माता-पिता दोनों अपने करियर में बिजी थे, इसी दौरान संजय ने कॉलेज जाना शुरू किया और इसी बीच वो गलत संगत में पड़ गए और उन्हें गांजा और ड्रग्स की लत लग गई। संजय को बचपन से ही पढ़ाई में कोई खास रुचि नहीं थी। लेकिन, पिता के कहने पर वह कॉलेज गए और अपना ग्रेजुएशन पूरा किया।

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संजय के पिता सुनील दत्त को संजय के गांजे और ड्रग्स की लत के बारे में कोई खैर खबर नहीं थी, लेकिन उनकी मां नरगिस को इसका एहसास हो गया था। उन्हें संजय पर तब शक हुआ जब वो अपने आपको एक कमरे में कैद रखने लग गए थे। पता चलने के बावजूद संजय की मां ने इस बात की जानकारी अपने पति सुनील दत्त को नहीं दी। उन्हें लगा कि वह अपने प्यार और अपने तरीके से संजय को लाइन पर ला सकती हैं। लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया। 

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सुनील दत्त को जब इस बात का पता चला कि उनका लाडला बेटा किस तरह से ड्रग्स की लत में गिरफ्तार हो गया है तो उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा। उन्होंने संजय को काम में बिजी रखना शुरू कर दिया। उन्हें लगा कि इससे संजय दत्त के ड्रग्स लेने की बुरी लत छूट जाएगी। इसके लिए सुनील ने एक दिन संजय को अपने ऑफिस डेब्यू फिल्म के लिए बातचीत करने के लिए बुलाया था। उस वक्त भी उन्होंने ड्रग्स की हाई डोज ले रखी थी। बेटे को ऐसी हालत में सुनील ने पहली बार देखा था। 

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बता दें, एक तरफ संजय डेब्यू फिल्म की तैयारी में लगे थे, वहीं, दूसरी तरफ उनकी मां नरगिस दत्त की तबीयत बिगड़ने लगी। नरगिस कैंसर से पीड़ित थीं। 1981 में संजय की डेब्यू की फिल्म की रिलीज डेट 8 मई तय की गई। उस दौरान नरगिस को तबीयत बिगड़ने के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया। 

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जहां, एक ओर सुनील समेत पूरा परिवार नरगिस की वजह से बहुत टेंशन में था, वहीं, नरगिस को बेटे के नशे की चिंता खाए जा रही थी। सुनील दत्त ने फिल्मों के प्रीमियर के लिए घर में ही थिएटर बनवा लिया था। ताकि नरगिस बेटे की डेब्यू फिल्म देख सकें। लेकिन देखते देखते अचानक नरगिस की तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें दूसरे कमरे में लाकर सुला दिया गया था। 
 

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संजय के जीवन का वो वक्त कितना भयानक होगा इस बात अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि नरगिस की मौत पर रोने की बजाय संजय बहन प्रिया दत्त से चरस मांग रहे थे। क्योंकि वो उस समय संजय को नशे की लत इस कदर लग चुकी थी कि उन्हें पता ही नहीं था कि घर में क्या हो रहा है। उनकी ऐसी हालत देख सुनील पूरी तरह से टूट गए थे। 
 

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एक तरफ अपनी पत्नी के जाने का गम और दूसरी तरफ बेटे की ऐसी हालत। सुनील पूरी तरह से मानों टूट चुके थे। इसके बाद उन्होंने बिना देरी किए विदेशी डॉक्टरों से बात की और इलाज के लिए पहले जर्मनी ले गए फिर अमेरिका। इलाज के बाद संजय को पता चला कि उनकी मां का निधन हो गया है जब जाकर वो खूब रोए। इतने रोए कि चार दिन तक लगातार रोते ही रहे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनकी मां अब इस दुनिया में नहीं हैं।

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