मान्यता दुख जताते हुए आगे लिखती हैं कि 'इस मुश्किल वक्त में, दुर्भाग्य से, वो अपने होम क्वॉरंटीन की वजह से अस्पताल में उनके साथ खड़े रहने में असमर्थ हैं, जो अब बस कुछ दिनों में खत्म होने वाला है। हर लड़ाई में एक मशाल लेकर आगे चलने वाला और किले को मजबूत रखने वाला शख्स होता है। प्रिया जिन्होंने उनके परिवार द्वारा संचालित कैंसर फाउंडेशन के साथ दो दशकों में बड़े पैमाने पर काम किया है, और जिन्होंने अपनी मां इस बीमारी से भी जूझते हुए देखा है, वह उनकी मशालची है, जबकि वो किले को संभालेगी।'