बंटवारे के बाद विनोद खन्ना का परिवार मुंबई में बस गया। पिता टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे, लेकिन विनोद साइंस के स्टूडेंट रहे और पढाई के बाद इंजीनियर बनने का सपना देखा करते थे। पिता चाहते थे कि वे कॉमर्स लें और पढ़ाई के बाद घर के बिजनेस से जुड़ें। स्कूलिंग के बाद पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा।