छत्तीसगढ़ की पहली अग्निवीर: पिता ऑटो ड्राइवर, उन्हें 12 साल से कैंसर, गांव में लड़कों के साथ की तैयारी

Published : Jan 07, 2023, 08:30 AM ISTUpdated : Jan 07, 2023, 08:31 AM IST

दुर्ग(Durg).छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की रहने वाली एक ऑटो ड्राइवर की बेटी हिशा बघेल राज्य की पहली 'महिला अग्निवीर-Hisha Baghel selected for Agniveer scheme' बन गई हैं। उनका चयन नौसेना में हुआ है। हिशा वर्तमान में ओडिशा के चिल्का में भारतीय नौसेना से सीनियर सेकंडरी रिक्रूट के लिए ट्रेनिंग ले रही हैं। उनकी ट्रेनिंग मार्च तक चलेगी। अग्निवीर के लिए हिशा ने खुद से तैयारी की। वे रोजाना रनिंग और योगा के जरिए खुद अग्निवीर के लिए तैयार कर रही थीं। पढ़िए पूरी डिटेल्स...

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छत्तीसगढ़ की पहली अग्निवीर: पिता ऑटो ड्राइवर, उन्हें 12 साल से कैंसर, गांव में लड़कों के साथ की तैयारी

एक छोटे से गांव बोरी गरका की रहने वाली हिशा ने गांव के ही स्कूल में पढ़ाई करते हुए सेना में भर्ती होने का सपना देखा था। वे तभी से  इसकी तैयारी कर रही थीं। जब वे उताई कॉलेज में पढ़ने पहुंची, तब उनके सपनों को उड़ान मिली। यहां हिशा पहली एनसीसी कैडेट बनीं। वे गांव में ही लड़कों के साथ दौड़ लगाती थीं।
 

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केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना के तहत सितंबर में नेवी के लिए भर्ती शुरू हुई थी। हिशा ने भी अप्लाई कर दिया। उनका सिलेक्शन होने पर गांव में जश्न का माहौल है।

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हिशा की मां सती बघेल बताती हैं कि उनके पति संतोष बघेल पिछले 12 साल से कैंसर से जूझ रहे हैं। उनके इलाज और बच्चों की पढ़ाई के लिए यह परिवार अपनी जमीन और रोजी-रोटी का साधन ऑटो तक बेच चुका है।

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हिशा की मां सती बघेल ने कहा-मुझे बहुत गर्व है। वह बहुत मेहनती है और ट्रेनिंग के लिए सुबह 4 बजे उठ जाती थी। हमने अपनी जमीन और कार बेच दी है। पैसे का इस्तेमाल मेरे पति के इलाज के लिए किया है, जो कैंसर से पीड़ित हैं और बच्चों को शिक्षित करने के लिए किया।

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हिशा बघेल की स्कूल टीचर अनिमा चंद्राकर ने कहा-मुझे बहुत खुशी है कि हमारे स्कूल की एक छात्रा को पहली महिला अग्निवीर के रूप में चुना गया है। वह बहुत मेधावी छात्रा थी। वह खेलों में भी अच्छी थी। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद, वह ऐसा कर पाई।
 

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अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए हिशा अपनी फीस भरने के लिए घर पर ही ट्यूशन पढ़ाती थीं। इस तरह उसे अपनी तैयारी की।

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हिशा स्कूल समय से ही सेना में जाना चाहती थी। कॉलेज में उसने एनसीसी ज्वाइन किया। अब उसका सपना पूरा हो गया है।

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