बस्तर, छत्तीसगढ़. जिंदगी इतनी सस्ती नहीं होती, जितना गोली चलाने वाले सोचते हैं। एक जान..कइयों को 'बेजान' कर देती है। एक पूरे घर की खुशियां छीन लेती है। किसी बच्चे के लिए उसके मां-बाप क्या होते हैं..यह बताने की जरूरत नहीं। मां-बाप बच्चों के लिए भगवान होते हैं। लेकिन जब किसी बच्चे से उसके भगवान छीन लिए जाएं, तो सोचिए उसके दिल पर क्या बीतती होगी? इस मासूम बच्चे के दिल पर भी यही बीत रही होगी, जिसके पापा नक्सली हमले में शहीद हो गए। यह बच्चा है लकी, जो अपने पापा के अंतिम संस्कार के वक्त गुमसुम था। वो एक गाना गुनगुना रहा था, जो अकसर पापा के सामने गाता था। उसे पापा का अंतिम संस्कार एक खेल-सा नजर आ रहा था। हालांकि वो अपना मन बहलाने की कोशिश कर रहा था। उसे मालूम था कि अब पापा कभी लौटकर नहीं आएंगे। उल्लेखनीय है कि CAF के जवान उपेंद्र साहू शनिवार को बस्तर जिले के मारडूम थाना अंतर्गत बोदली कैम्प से सर्चिंग के लिए रवाना हुए थे। इसी दौरान घोटिया मोड के पास नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में वे और एक अन्य साथी शहीद हो गए थे। रविवार सुबह गार्ड ऑफ ऑनर देकर शहीद साहू का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के दो बेटे हैं।