लंदन से बेटे ने किया भावुक होकर घर पर कॉल, माता-पिता बोले-'बेटा अभी तुम वही रहो'

शिमला, हिमाचल प्रदेश. कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में अपने घर से दूर फंसे बच्चों को वापस लाने माता-पिता सरकार से रोते हुए गुहार कर रहे हैं। सरकारें भी पूरी कोशिश कर रही हैं कि बच्चों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया जा सके। लेकिन एक मां-बाप ने अलग ही उदाहरण पेश किया है। उसका बेटा लंदन में फंसा हुआ है। जब उसने भावुक होकर मां-बाप को कॉल किया, तो जवाब मिला कि अभी वो वहीं रुके। मामला जाखू के रहने वाले सिद्धार्थ शर्मा से जुड़ा है। उनके माता-पिता ने कहा कि वे सरकार पर कोई दवाब नहीं बनाएंगे। बल्कि बाकी माता-पिता से भी यही कहेंगे कि सब्र रखें। सिद्धार्थ मर्चेंट नेवी में है। वो एक पेपर के सिलसिले में साउथ हैम्पटन (लंदन) गया था। लेकिन वहां न तो एग्जाम हो पाया और न वो वापस लौट सका। सिद्धार्थ के पिता पंकज शर्मा ने बताया कि वो 24 मार्च को एग्जाम देने गया था। वहां वो किराये के फ्लैट में रह रहा है। लेकिन वहां के हालात देखकर परेशान है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 29, 2020 7:01 AM IST / Updated: Apr 29 2020, 12:33 PM IST
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लंदन से बेटे ने किया भावुक होकर घर पर कॉल, माता-पिता बोले-'बेटा अभी तुम वही रहो'

सिद्धार्थ के पिता पंकज ने सिर्फ इतना कहा कि हमारी सरकार वहां की एम्बेसी या हाई कमीशन से बात करके सिर्फ इतना सुनिश्चित कर ले कि हमारे बच्चे सुरक्षित हैं। पंकज ने बताया कि सिद्धार्थ को वहां रेंट महंगा पड़ रहा है। ऐसी ही कुछ छोटी-मोटी चिंताएं हैं।

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सिद्धार्थ की मां ज्योत्सना ने कहा कि उन्हें सिर्फ बेटे के खाने की फिक्र है। सरकार बस इस ओर ध्यान दे ले। बाकी मैंने उससे बोल दिया है कि अभी वो वहीं रहे। 
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यह कहानी गुजरात के वडोदरा की है। यह हैं गुजरात की सबसे छोटी कोरोना वॉरियर्स 2 साल की आयशा। बोडेली की रहने वाली आयशा को कोरोना पॉजिटिव होने पर वडोदरा के गोत्री मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। आयशा ने कोरोना को हरा दिया है। लिहाजा, उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। जब अपनी बेटी को पिता ने गोद में लिया, तो वो भावुक होकर रो पड़ा। आयशा का इलाज करने वालीं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नईनीवाले के मुताबिक, उसके दादा और बाकी सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव निकले थे। हालांकि दादा भी स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। आयशा के पिता अहमदउल्ला ने बताया कि उसका 13 दिनों तक इलाज चला। अपनी बेटी को ठीक देखकर वो बहुत खुश है।

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यह कहानी गुजरात के राजकोट की है। यहां मां-बाप सहित परिवार के अन्य सदस्यों के पॉजिटिव होने के बाद घर में 14 माह की बच्ची को खिलाने वाला भी कोई नहीं बचा है। फिरोज चूड़ासमा नाम के शख्स की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भले उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन चाहकर भी 14 महीने की बेटी को छू नहीं सके। वहीं, अब फिरोज की पत्नी और मां की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दोनों को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है। 
 

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यह कहानी केरल की है। यहां 4 महीने के बच्चे की संक्रमण के चलते मौत हो गई। इस दर्दनाक तस्वीर को अस्पताल में जिस डॉक्टर ने देखी उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं जब मासूम के शव को स्वास्थ्यकर्मियों ने दफनाया तो वह भी फूट-फूटकर रो पड़े। 
 

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