इस साल के अंत तक अगर नहीं आई वैक्सीन तो 2021 में रोजाना आ सकते हैं 2.87 लाख केस: रिपोर्ट

नई दिल्ली. पिछले तीन महीनों से कोरोना वायरस से दुनियाभर में हालात नाजुक बने हुए हैं। हर दिन पॉजिटिव केस के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। अब मीडिया रिपोर्ट्स में रिसर्चर्स के अनुसार कहा जा रहा है कि अगर इस साल के अंत तक वैक्सीन नहीं आई तो 2021 में पूरी दुनिया के हालात और भी बिगड़ सकते हैं। जिसमें भारत की स्थिति कुछ ज्यादा ही बिगड़ सकती है। इंडिया में वैक्सीन ना आने पर कहा जा रहा है कि 2021 में रोजाना 2.87 लाख कोरोना पॉजिटिव केस आ सकते हैं।  

Asianet News Hindi | Published : Jul 9, 2020 2:50 AM IST
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इस साल के अंत तक अगर नहीं आई वैक्सीन तो 2021 में रोजाना आ सकते हैं 2.87 लाख केस: रिपोर्ट

84 देशों के टेस्टिंग और केसों के आंकड़ों के आधार पर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के शोधकर्ताओं ने यह भविष्यवाणी की है। एमआईटी रिसर्च के अनुसार, फरवरी 2021 तक प्रतिदिन 2.87 लाख मामलों के साथ भारत दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देश बन सकता है।
 

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एमआईटी  की यह स्टडी अमेरिकी के स्लोएन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के हाजीर रहमानदाद, टीवाई लिम और जॉन स्टरमैन ने मिलकर की है। स्टडी के अनुसार, फरवरी 2021 के अंत तक भारत कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश होगा। 

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इसके बाद अमेरिका में प्रतिदिन 95,400 केस, साउथ अफ्रीका में प्रतिदिन 20,600, ईरान में 17,000, इंडोनेशिया में 13,200, में यूके में 4200, नाइजीरिया में 4000, तुर्की में 4,000, फ्रांस में हर दिन 3300 और जर्मनी में 3000 केस आ सकते हैं।

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मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि शोधकर्ताओं ने अध्ययन करने के लिए एक मानक मैथमैटिकल मॉडल का उपयोग किया है। यह मॉडल महामारी विज्ञानिकों द्वारा उपयोग किया जाता है, जिसे SEIR  (Susceptible, Exposed, Infectious, Recovered) मॉडल कहा जाता है। उन्होंने यह भी अनुमान लगाया है कि उपचार के अभाव में मार्च-मई, 2021 तक दुनिया भर में 20 करोड़ से 60 करोड़ केस और 17.5 लाख लोगों की मौत हो सकती है। 

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इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग के महत्व को दोहराया गया है। कोरोना के संक्रमण का यह आंकड़ा टेस्टिंग पर नहीं, बल्कि संक्रमण को कम करने के लिए सरकार और आम आदमी की इच्छा शक्ति के आधार अनुमानित है।

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हालांकि, शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि पूर्वानुमान केवल संभावित खतरे को बताता है न कि भविष्य में मामलों की भविष्यवाणी करता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि कड़ाई से जांच और संक्रमितों से संपर्क को कम करने से भविष्य में मामले बढ़ने का खतरा कम हो सकता है, जबकि लापरवाह रवैये और खतरे को सामान्य मानने से महामारी विकराल रूप ले लेगी। 

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रिसर्चर्स के अनुसार कहा जा रहा है कि 2021 का पूर्वानुमान टीका नहीं विकसित होने की स्थिति को लेकर आधारित है। इस मॉडल में 84 देशों के आंकड़ों के आधार पर कई अहम खुलासे भी हुए हैं। महामारी की वास्तविक स्थिति को कमतर बताया जा रहा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, 18 जून से अबतक मामलों और मृत्युदर आधिकारिक आंकड़ों के मुकाबले क्रमश: 11.8 और 1.48 गुना अधिक है।
 

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