खेल जगत में पिता पुत्र की 6 जोड़ियां, किसी ने बटोरी शोहरत कोई नहीं हुआ कामयाब

स्पोर्ट्स डेस्क। ऐसा अक्सर देखा जाता है कि पिता जिस प्रोफेशन में होते हैं, उनके बेटे भी ज्यादातर उसी में जाते हैं। खेलों के साथ भी यह देखने को मिलता है। हमारे देश में क्रिकेट और दूसरे खेलों में पिता के साथ उनके बेटों ने भी हाथ आजमाया। इसमें कुछ तो काफी सफल रहे और अच्छी-खासी शोहरत बटोरी, वहीं कुछ को सफलता नहीं मिली और वे गुमनामी के अंधेरे में खो गए। आज हम आपको ऐसे 6 पिता-पुत्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो खेल जगत में आए। इनमें क्रिकेट से लेकर हॉकी और टेनिस जैसे खेल शामिल हैं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 20, 2020 8:09 AM IST / Updated: Jun 20 2020, 01:42 PM IST

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खेल जगत में पिता पुत्र की 6 जोड़ियां, किसी ने बटोरी शोहरत कोई नहीं हुआ कामयाब

डॉक्टर वेस पेस और लिएडंर पेस
मशहूर टेनिस प्लेयर और ओलिम्पिक में ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने वाले लिएंडर पेस के पिता डॉक्टर वेस पेस 1972 में म्यूनिख ओलिम्पिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के मेंबर थे। उन्होंने पहली बार इंडियन हॉकी टीम के मैस्कॉट के रूप में किसी खेल के मैदान पर कदम रखा था। खास बात यह भी है कि लिएंडर पेस की मां जेनिफर इंडियन वॉलीबॉल टीम की कैप्टन थीं। उन्होंने 1980 में एशियन बास्केटबॉल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था। 

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सुनील गावस्कर और रोहन गावस्कर
सुनाील गावस्कर भारत ही नहीं, दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। वे टेस्ट मैचों में 10 हजार रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज रहे। उन्होंने टेस्ट मैचों में 34 शतक बनाए। उनके पुत्र रोहन गावस्कर भी क्रिकेट के खेल में आए। उन्होंने वनडे अंतरराष्ट्रीय मैचों में खेला। यह अलग बात है कि रोहन गावस्कर को अपने पिता सुनील गावस्कर जैसी सफलता और लोकप्रियता नहीं मिली।

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मेजर ध्यान चंद और अशोक कुमार
ध्यान चंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। उनके खेल का हिटलर भी प्रशंसक था। 1936 के बर्लिन ओलिम्पिक में ध्यान चंद ने खेला था। उनके खेल को देखकर हिटलर बहुत प्रभावित हुआ और उसने उनसे जर्मनी की तरफ से खेलने के लिए कहा, लेकिन ध्यान चंद ने इनकार कर दिया। ध्यान चंद के पुत्र अशोक कुमार भी हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी थे। उन्होंने कुआलालंमपुर में 1975 में हुए हॉकी के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ गोल दाग कर भारत को जीत दिलाई थी। 
 

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योगराज सिंह और युवराज सिंह
योगराज सिंह ने भारत के लिए सिर्फ एक टेस्ट मैच 1981 में खेला था। उन्होंने वनडे इंटरनेशनल मैचों में भी खेला। इसके बाद उन्हें भारतीय टीम के लिए नहीं चुना गया। इसके बाद योगराज सिंह ने अपने पुत्र युवराज सिंह को दुनिया का बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी बानने का संकल्प लिया। उन्होंने युवराज सिंह को खुद भी प्रशिक्षण दिया और बेहतर क्रिकेट खेलने के लिए तैयार किया। युवराज सिंह एक बेहतरीन ऑलराउंडर के रूप में सामने आए। वे भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज साबित हुए। उन्होंने 2007 में टी20 वर्ल्ड कप और 2011 में हुए वर्ल्ड कप में शानदार भूमिका निभाई, जिसमें भारत को जीत मिली। 

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रोजर बिन्नी और स्टुअर्ट बिन्नी
रोजर बिन्नी अपने समय के बेहतरीन ऑलराउंडर थे। गेंदबाज के रूप में उन्हें काफी सफलता मिली। 1983 के वर्ल्ड कप में उन्होंने सबसे ज्यादा विकेट लिए थे। उनके पुत्र स्टुअर्ट बिन्नी भारत की वनडे इंटनेशनल टीम में हैं। भारत ने अब तक इंग्लैंड के लॉर्ड्स में दो टेस्ट मैचों में जीत हासिल की है। एक बार 1986 में और दूसरी बार 2014 में। रोजर बिन्नी 1986 में टीम में थे और स्टुअर्ट 2014 में। इन दोनों के खेल में काफी समानता देखने को मिलती है।

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लाला अमरनाथ और मोहिंदर अमरनाथ
लाला अमरनाथ पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने टेस्ट मैच में शतक बनाया था। वे भारत के सबसे अच्छे ऑलराउंडर्स में थे। लाला अमरनाथ के दोनों बेटे सुरिंदर अमरनाथ और मोहिंदर अमरनाथ ने क्रिकेट में शानदार भूमिका निभाई। सुरिंदर अमरनाथ ने अपने पहले टेस्ट मैच में शतक बनाया। यह उपलब्धि हासिल करने वाले ये पहले भारतीय खिलाड़ी थे। वहीं, मोहिंदर अमरनाथ मिडल ऑर्डर पर खेलने वाले सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी थे। मोहिंदर अमरनाथ ने 1983 के वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल और फाइनल मैच में 'मैन ऑफ द मैच' का अवॉर्ड जीता था।     

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