वो 7 गैर मुस्लिम खिलाड़ी जिनका पाकिस्तानी क्रिकेटर्स ने कर दिया जीना हराम, वजह सिर्फ धर्म
नई दिल्ली. पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी दानिश कनेरिया के साथ गैर-मुस्लिम होने के कारण टीम के बाकी खिलाड़ियो ने भेदभाव किया। ये बात खुद टीम के दिग्गज खिलाड़ी और रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर ने एक शो के दौरान बोली है। इसके बाद दिनेश कनेरिया से दानिश बने खिलाड़ी ने खुद इसकी पुष्टी भी की। अब ये मामला इतना चर्चित हो चुका है कि पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के बाकी गैर मुस्लिम खिलाड़ियों के साथ बुरे बर्ताव की परतें खुल गई हैं। 1947 में आजादी के बाद से पाकिस्तान ने1952 से अब तक कुल 240 टेस्ट क्रिकेटर्स खेले हैं जिनमें से ओवरऑल ‘नॉन मुस्लिम’ क्रिकेटर्स सिर्फ सात हैं। इन सात में से भी हिन्दू क्रिकेटर्स सिर्फ दो हैं। तो आज हम आपको पाकिस्तान में अल्पसंख्यंकों के साथ होने वाले भेदभाव और उत्पीड़न के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें कुछ के साथ छुआछूत हुई तो किसी का करियर ही बर्बाद कर दिया गया। इन खिलाड़ियों की कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है। तो जानिए पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के वो 7 खिलाड़ी जिन्हें गैर मुस्लिम होने के कारण अवहेलना का शिकार होना पड़ा.....
Asianet News Hindi | Published : Dec 28, 2019 6:45 AM IST / Updated: Dec 28 2019, 12:59 PM IST
अनिल दलपत- पाकिस्तान के लिए खेलने वाले पहले हिंदू क्रिकेटर अनिल दलपत रहे हैं। वह दानिश के कजिन भाई हैं। दलपत को साल 1984 में पहली बार टीम में मौका मिला और मौका भी ऐसा मिला कि उन्होंने एक साल में ही नौ टेस्ट मैच खेल लिए। उन्होंने मौजूदा पाकिस्तानी पीएम और पूर्व पाकिस्तान कप्तान इमरान खान पर आरोप लगाए, दलपत ने उस समय कहा था कि उनका करियर इमरान खान की वजह से जल्दी खत्म हो गया। वह भेदभाव का शिकार हुए।
एंटो डीसूज़ा- हिन्दुस्तान के गोवा में जन्मे एंटो डीसूज़ा ने साल 1959 में पाकिस्तान के लिए डेब्यू किया। इसी साल पाकिस्तान के लिए डेब्यू करने वाले दूसरे इसाई खिलाड़ी बने। डिसूज़ा 1959 से 1962 तक पाकिस्तान क्रिकेट में रहे। इस दौरान वो बल्ले से बहुत कुछ नहीं कर सके, उन्होंने पाकिस्तान के झंडे तले कुल 6 मैच खेले जिसमें सिर्फ 76 रन बनाए। डिसूज़ा के पिता आज़ादी के वक्त गोवा से पाकिस्तान शिफ्ट हो गए थे। उनका करियर भी जल्द खत्म हो गया जिसके बाद साल 1999 में डिसूज़ा पाकिस्तान छोड़कर परिवार के साथ कनाडा चले गए।
वालिस मथाएस- साल 1952 से टेस्ट क्रिकेट खेल रही पाकिस्तान टीम में पहले नॉन मुस्लिम क्रिकेटर रहे वालिस मथाएस। उनका जन्म कराची में हुआ। वो साल 1955 से 1962 तक पाकिस्तान टीम के लिए क्रिकेट खेले। उन्होंने अपने मुल्क के लिए कुल 21 टेस्ट खेले। जिसमें उन्होंने 783 रन बनाए। उनका बल्लेबाज़ी औसत 24 के आसपास का रहा। भले ही बल्ले से वो उतना कमाल का प्रदर्शन नहीं कर सके लेकिन उन्हें उस टीम के कमाल के फील्डर्स में गिना जाता था। उन्होंने पाकिस्तान के लिए 22 कैच पकड़े। साल 1958-59 में ढाका में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टीम की जीत में उन्होंने 65 और 45 रनों की अहम यादगार पारियां खेलीं थीं। उन्होंने अपने करियर में सिर्फ तीन अर्धशतक जमाए। मथाएस की मौत ब्रेन हैमरेज से हुई थी। मथाएस के साथ किसी दुर्व्यवहार की खबरें सामने नहीं आईं।
मोहम्मद यूसुफ- पाकिस्तान क्रिकेट इतिहास का सबसे सफल नॉन मुस्लिम क्रिकेटर, या फिर यूं कहें कि उस समय का नॉन मुस्लिम क्रिकेटर. नाम है यूसुफ योहाना। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि साल 2005 में मोहम्मद यूसुफ ने धर्म परिवर्तन करके इस्लाम अपना लिया था। इसके बाद उन्होंने अपने नाम में भी बदलाव किया था। उनके साथी खिलाड़ी सईद अनवर पर उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रभावित करने के आरोप लगे थे। उन्हें ईसाई होने के कारण टीम के खिलाड़ी टॉर्चर करते थे। पाकिस्तान ने यूसुफ पर गुटबाजी करके खिलाड़ियों का मनोबल गिराने के आरोप लगाए थे और उन पर बैन लगा दिया। इसके बाद उन्होंने सन्यास लेकर खेल से पीछा छुड़ा लिया।
दानिश कनेरिया- दानिश पाकिस्तान की तरफ से खेलने वाले दूसरे हिंदू क्रिकेटर थे। उन्होंने साल 2000 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया। उनका असली नाम दिनेश है वह हिंदू थे लेकिन मुस्लिम खिलाड़ियों के बीच खेलने के लिए अपना नाम बदलकर दानिश कर लिया। दानिश पर फिक्सिंग के मामले में बैन लगा हुआ है लेकिन उन्होंने टीम के बाकी खिलाड़ियों का भेदभाव भी झेला है। दूसरे खिलाड़ी उन्हें हिंदू होने के कारण साथ में खाना नहीं खाते थे, बात नहीं करते थे, मेंटल टॉर्चर और धर्म को लेकर कमेंटबाजी चलती थी। इस वजह से भी दानिश का करियर प्रभावित हुआ।
डंकन शार्प- आज़ादी से पहले कराची में जन्मा ये क्रिकेटर एंग्लो पाकिस्तानी था। वो पाकिस्तान के लिए खेलने वाले ईसाई खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने पाकिस्तान के लिए साल 1959 में कुल तीन टेस्ट खेले. जिसमें उन्होंने महज़ 134 रन बनाए. लेकिन अपने पहले टेस्ट में ही उन्होंने दोनों पारियों में 56 और 35 रनों की जुझारू पारी खेलकर टीम को हार से बचाने की कोशिश की। लेकिन इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच को जीत लिया था। इसके बाद टीम में ज्यादा मौके नहीं मिलने की वजह से वो ऑस्ट्रेलिया चले, जहां पर वो डॉमेस्टिक क्रिकेट में खेले लेकिन बहुत ज़्यादा कामयाब नहीं हो सके। पाक टीम में हमेशा मुस्लिम खिलाड़ियों की संख्या अधिक रही।
सोहेल फज़ल- साल 1989 में सोहेल फज़ल ने नाम बदलकर इस्लाम अपनाया ताकि पाक टीम में इज्जत मिले। धर्म से सोहेल इसाई थे। उन्होंने पाकिस्तान के लिए सिर्फ दो वनडे मैच खेले। जिसमें उन्होंने 56 रन बनाए. साल 1989-90 में इस बल्लेबाज़ ने अपने करियर का बेस्ट स्कोर 32 रन भारत के खिलाफ ही किया। सोहेल ने उस पारी में तीन शानदार छक्के लगाए थे. जिसकी मदद से उनकी टीम भारत के खिलाफ 250 रनों के पार पहुंच पाया था। रातोंरात ये खिलाड़ी कई पाकिस्तानी फैंस का फेवरेट भी बन गया था। इसके बाद उन्होंने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ मिले मौके को भुनाया और 34 गेंदों में 24 रनों की पारी खेली लेकिन फिर ये खिलाड़ी कहां गया, ये पाकिस्तानी फैंस को कभी पता नहीं चल पाया। शायद ड्रेसिंग रूम का पॉलिटिक्स इनके करियर को भी निचोड़ बैठा।