2011 में भी युवराज को नहीं हरा पाया था कैंसर पर इस बीमारी को आज भी हरा रहे हैं युवी
नई दिल्ली. सिक्सर किंग के नाम से पहचाने जाने वाले युवराज सिंह कैंसर किंग के नाम से भी जाने जाते हैं। कैंसर डे के मौके पर आपको युवराज के इसी संघर्ष की कहानी बता रहे हैं। 2011 में भारत को विश्व विजेता बनाने वाले इस खिलाड़ी ने अपनी टीम के साथ मिलकर दुनिया को हराया और फिर अकेले कैंसर के जंग लड़े। इस लड़ाई में युवी के जज्बे और मैदान में वापसी की इच्छाशक्ति के सामने कैंसर ने समय से पहले ही घुटने टेक दिए और डॉक्टरों का काम भी आसान हो गया। उन्हें बहुत ही दुर्लभ तरह का कैंसर हुआ था पर युवराज ने इसे भी बड़ी आसानी से हराकर मैदान पर वापसी की। कैंसर युवराज का कुछ नहीं बिगाड़ सका पर कैंसर के खिलाफ युवराज की जंग अभी भी जारी है। उन्होंने यू वी कैन नाम की एक संस्था खोली और इसके जरिए आज भी युवराज कैंसर की हार का कारण बन रहे हैं। यह संस्था कैंसर के खिलाफ जंग में लोगों की मदद करती है और अब तक ढेरों जिदगियां इस संस्था की वजह से बची हैं।
युवराज को 2011 वर्ल्डकप के दौरान ही उल्टी और खांसी की शिकायत हुई थी, पर वर्ल्डकप जीतने के खुमार में उन्होंने इतनी बड़ी बीमारी को नजरअंदाज कर दिया था।
कैंसर का पता चलने के बाद भी युवराज हताश या निराश नहीं हुए थे। उन्हें जल्द से जल्द कैंसर को हराकर मैदान में वापसी करनी थी।
उनकी मजबूत इच्छाशक्ति के चलते डॉक्टरों को इलाज में खासी मदद मिली और युवराज समय से थोड़ा पहले ही कैंसर को मात देने में सफरल रहे।
नरगिस दत्त के बाद युवराज भारत की बड़ी हस्ती थे, जिन्हें कैंसर की समस्या हुई थी। इस बीमारी के बाद उन्हें पता चला कि देश में कितने सारे लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
इलाज के दौरान युवराज हमेशा हंसी मजाक करते रहते थे। उनके इस स्वभाव ने इलाज को दौरान उनकी मदद की।
इलाज को दौरान भी उन्होंने कई बार टेबल टेनिस का मैच खेला। इस दौरान वो हर मैच जीतते रहे। युवी ने अपने डॉक्टर के दोस्त पारुल चड्ढा को हर बार हराया।
युवराज ने देश के लिए वर्ल्डकप जीता, मैन ऑफ द सीरीज बने सब कुछ सपने के जैसा था, पर कैंसर का पता चलते ही उन्हें लगा कि जैसे आसमान से जमीन पर आ गए हों।
युवराज के डॉक्टर का कहना है कि उनके दोस्ताना स्वभाव ने कैंसर से लड़ाई में जमकर मदद की। वो हर चीज को स्वीकार करते हैं और उसका सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कैंसर से पार पाने के बाद युवराज ने यू वी कैन नाम की संस्था शुरू की। यह संस्था कैंसर से लड़ रहे लोगों की मदद करती है।
युवराज ने बताया कि उन्हें आर्म स्ट्रांग की किताब से बहुत प्रेरणा मिली थी। इसी किताब से प्रेरित होकर उन्होंने खुद भी किताब लिखने का फैसला किया।