इन 4 गलतियों की वजह से भारत दोबारा नहीं जीत पाया T-20 वर्ल्डकप, कभी युवराज तो कभी हार्दिक बने वजह

नई दिल्ली. 2007 में भारतीय टीम ने T-20 वर्ल्डकप जीतकर इतिहास रचा था। युवा कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय खिलाड़ियों ने साउथ अफ्रीका की धरती पर जाकर अपना परचम फहराया था और क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट के चैंपियन बने थे, पर इसके बाद भारतीय टीम कभी भी यह खिताब अपने नाम नहीं कर पाई। समय के साथ खिलाड़ी बदलते गए, कप्तान भी बदले पर भारतीय टीम की किस्मत जस की तस रही। दरअसल 2007 के बाद भी भारत के पास विश्व विजता बनने का मौका था, पर कुछ गलतियों की वजह से टीम इंडिया दोबारा ऐसा नहीं कर सकी। कभी युवराज को गलत जगह पर खिलाया गया तो कभी गेंदबाजों की गलतियां टीम की हार का कारण बनी। हम आपको ऐसी ही 4 गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी वजह से भारत दोबारा T-20 वर्ल्डकप नहीं जीत पाया। अगर 2020 वर्ल्डकप में भारत को यह खिताब जीतना है तो ऐसी गलतियों से बचना होगा।  

Asianet News Hindi | Published : Apr 16, 2020 6:14 AM IST / Updated: Apr 16 2020, 11:49 AM IST

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इन 4 गलतियों की वजह से भारत दोबारा नहीं जीत पाया T-20 वर्ल्डकप, कभी युवराज तो कभी हार्दिक बने वजह
2007 के बाद से भारतीय टीम हर साल T-20 वर्ल्डकप जीतने की प्रबल दावेदार रही है, पर हर बार भारत ने कुछ ऐसी गलतियां की हैं, जिनकी वजह से यह खिताब दूसरी बार भारत के नाम नहीं हो पाया है। 
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साल 2016 में यह टूर्नामेंट भारत की धरती पर ही खेला जा रहा था और टीम इंडिया यह खिताब जीतने की प्रबल दावेदार भी थी। सेमीफाइनल मैच में भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 192 रन बनाए थे और विपक्षी टीम के 2 विकेट सिर्फ 19 रन पर गिर गए थे। भारत की जीत तय नजर आ रही थी, पर ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने दूसरी पारी के 7वें ओवर में और ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने 15वें ओवर में नो बॉल फेंकी। इन दोनों गेंदों पर वेस्टइंडीज के बल्लेबाज सिमंस को जीवनदान मिला और उन्होंने 82 रनों की शानदार पारी खेलकर भारत को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। 
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बांग्लादेश में खेले गए 2014 विश्वकप में भी भारतीय टीम के पाक खिताब जीतने का मौका था। फाइनल मैच में भारत और श्रीलंका की टीमें खेल रही थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने सधी हुई शुरुआत की, पर विकेट गिरने पर खराब फॉर्म से जूझ रहे युवराज सिंह को बैटिंग के लिए भेजा गया। युवराज ने इस मैच में अपने करियर की सबसे खराब पारी खेली और इस वजह से कोहली पर भी दबाव बन गया। 20 ओवरों में भारतीय टीम सिर्फ 130 रन बना पाई और आसानी से यह मैच हार गई। युवराज की जगह धोनी या रैना बैटिंग के लिए आते तो मैच का नतीजा कुछ और हो सकता था। 
 
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2012 वर्ल्डकप में भारत ने सुपर 8 मुकाबलों में पहले मैच में सहवाग को टीम से बाहर रखा और इरफान पठान से ओपनिंग कराई। इस मैच में टीम इंडिया सिर्फ 140 रन बना पाई और ऑस्ट्रेलिया ने आसानी से यह मैच जीत लिया। इसके बाद भी भारत के पास सेमीफाइनल में पहुंचने का अच्छा मौका था, पर युवराज से पहले रोहित शर्मा को बैटिंग के लिए भेजा गया। रोहित ने 27 गेंदों में सिर्फ 15 रन बनाए और भारत यह मैच सिर्फ 1 रन जीता। सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए भारत को बड़ी जीत की जरूरत थी, पर ऐसा नहीं हो पाया और भारतीय टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई। 
 
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2009 में यह टूर्नामेंट इंग्लैंड की धरती पर हुआ था। इस बार सुपर 8 का दूसरा मैच जीतना भारत के लिए बहुत जरूरी था। इंग्लैंड के खिलाफ मैच में भारत के सामने 153 रनों का लक्ष्य था। लक्ष्य का पीछा करने उतरे भारत की शुरुआत की खराब रही और रोहित रैना के विकेट सस्ते में चले गए। इसके बाद भारतीय कप्तान ने इनफॉर्म युवराज की बजाय जडेजा को बैटिंग के लिए भेजा और यह फैसला गलत साबित हुआ। जडेजा ने 35 गेंदों में 25 रन बनाए और भारत यह मैच 3 रन से हार गया। 
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