जब अंपायर अपने किसी फैसले पर निश्चित नहीं होते है, तो वो तीसरे अंपायर को सॉफ्ट सिग्नल देते हैं। ये सिग्नल आउट या नॉट आउट का होता है, लेकिन अगर थर्ड अंपायर भी कोई फैसला नहीं दे पाता है, तो ऐसी स्थिति में मैदानी अंपायर के फैसले को सही करार दिया जाता है। सॉफ्ट सिग्नल को लाने की अहम वजह थी टू डाइमेंशनल टीवी कैमरों से साफ विजुअल नहीं दिख पाता है, जिसके चलते ज्यादातर बार थर्ड अंपायर बल्लेबाज को नॉट आउट ही देते थे।