कभी गोलगप्पे बेंचकर गुजारा करता था यह खिलाड़ी, अब छक्के के साथ किया पाकिस्तान का खेल खत्म
नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए सेमीफाइनल मैच में भारत के ओपनर यशस्वी जायसवाल ने सानदार शतक के साथ टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाया। जायसवाल इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय खिलाड़ी भी हैं। भारत के लिए अंडर -19 टीम में चुने जाने से पहले उनका जीवन इतना आसान नहीं था। जायसवाल ने अपने जीवन में कई मुश्किल हालातों का समाना करके यह सफर पूरा किया है। उन्होंने अपने पिता के साथ गोलगप्पे भी बेचे हैं। इस संघर्ष के बाद उन्हें अंडर-19 टीम में जगह मिली और यहां यह सितारा सूरज बनकर चमक रहा है।
यूपी के भदोही जिले में एक बाजार है सुरियांवा। इसी बाजार में भूपेंद्र जायसवाल छोटी से पेन्ट की दुकान चलाते हैं। भूपेंद्र जयसवाल अंडर-19 विश्व कप 2020 के लिए इंडियन टीम में चुने गए यशस्वी जयसवाल के पिता है।
भूपेंद्र बताते हैं कि उनका बेटा बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहता था। इसी के चलते वह उसे 10 वर्ष की उम्र में अपने एक रिश्तेदार के पास मुंबई ले गए जहां उसने आजाद मैदान में प्रैक्टिस शुरू की।
यशस्वी शाम को गोलगप्पे की दुकान लगाता था। जिसमे वह कुछ पैसा बचा लेता था। कुछ पैसा मैं यहां से भेजता था और कुछ वह खुद से ईनाम व गोलगप्पे की दुकान से इकट्ठा कर बचा के रखता था।
यशस्वी 13 साल की उम्र में अंजुमन ए इस्लामिया की टीम से आजाद ग्राउंड पर लीग खेल रहा था। इस दौरान ज्वाला सर आए, उनकी शांताक्रूज में एकेडमी है। वह यशस्वी के खेल से प्रभावित थे।
भूपेंद्र ये वाकया बताते हुए भावुक हो उठे,उन्होंने बताया की एक बार यशस्वी की आँख के पास किसी कीड़े ने काट लिया। जिसके बाद उसका पूरा मुंह सूज गया। मुझे जानकारी मिली तो मैंने उसे वापस आने को कहा।