महिला बस कंडक्टर का बेटा है यह U-19 स्टार, चाहता है वर्ल्डकप फाइनल के बाद मां छोड़ दें नौकरी
नई दिल्ली. भारतीय अंडर 19 टीम के स्टार ऑलराउंडर अथर्व अंकोलेकर चाहते हैं कि उनकी मां बस कंडक्टर की नौकरी छोड़ दें। इस ऑलराउंडर ने संघर्ष भरे जीवन में भारतीय अंडर 19 टीम तक का सफर तय किया। अब अथर्व चाहते हैं कि वर्ल्डकप फाइनल में भारत की जीत के बाद उनकी मां बस कंडक्टर की नौकरी छोड़ दें। बांए हाथ से गेंदबाजी करने वाला यह युवा खिलाड़ी उपयोगी बल्लेबाज भी है। अथर्व मुंबई के रहने वाले हैं। 10 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया था। इसके बाद से उनकी मां ने ही उनको इस मुकाम तक पहुंचाया। अथर्व का मानना है कि मां को बस कंडक्टर की नौकरी में परेशानी उठानी पड़ती है इसलिए अब उन्हें वो नौकरी छोड़ देनी चाहिए।
Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2020 11:11 AM IST / Updated: Feb 07 2020, 04:50 PM IST
अथर्व के पिता भी क्रिकेट खेलते थे और मुंबई की बसों में नौकरी करते थे। पिता की मौत के बाद उनकी मां ने ही उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया।
अथर्व की मां ने उनके जीवन में पिता का किरदार निभाया। वही नौकरी वही जज्बा और बेटे को सफल बनाने के बाद भी आराम न करने की जिद। उनकी मां के अंदर ये सभी बातें देखी जा सकती हैं।
उनकी मां का कहना है कि अभी अथर्व की आय पक्की नहीं है। वो जितने मैच खेलता है उसी हिसाब से उसे पैसे मिलते हैं। वो भले ही चाहता है कि मैं अब नौकरी छोड़ दू, पर मैं ऐसा रिस्की डिसीजन नहीं ले सकती।
आस्ट्रेलिया के खिलाफ मुश्किल हालातों में अथर्व ने भारत के लिए शानदार पारी खेली थी और टीम इंडिया के स्कोर को 200 के पार पहुंचाया था।
बल्ले के बाद गेंद से भी अथर्व ने शानदार खेल दिखाया और 7 ओवरों में महज 22 रन खर्चे थे।
इस बार IPL की नीलामी में भी अथर्व का नाम शामिल था, पर फर्स्ट क्लास मैचों का अनुभव न होने के कारण उन्हें किसी भी टीम ने नहीं खरीदा।
IPL में न चुने जाने पर उनकी मां ने कहा कि यह टूर्नामेंट हर साल आता है, अगर इस साल नहीं तो अगले साल इसमें शामिल हुआ जा सकता है। उसने वर्ल्डकप में अपनी जगह बनाई है।
उनके परिवार में उनके अलावा एक छोटा भाई भी है। उनकी मां ही पूरे परिवार को चलाती हैं।
अथर्व की मां दिन में नौकरी करती हैं और शाम को बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं। उनका मुंबई में ही एक छोटा सा घर है।
उनके कोच का कहना है कि ऐसे खिलाड़ियों को असफलता का डर बहुत ज्यादा होता है। खिलाड़ियों को सफलता के लिए परिवार की मदद बहुत जरूरी होती है। उन्हें हमेशा डर लगा रहता है कि अगर असफल हो गया तो क्या होगा।