दिल्ली में चुनावी जंग; पिता की विरासत आगे बढ़ाने के लिए टिकट की लाइन में हैं BJP दिग्गजों के वारिस
नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव के औपचारिक ऐलान के साथ ही बीजेपी, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को हराने के लिए मजबूत प्रत्याशी को उतारने का मन बनाया है। वैसे तमाम सीटों पर टिकट हासिल करने के लिए नेताओं की जोर-आजमाइश बढ़ गई है। बीजेपी के कई दिग्गज नेता भी अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए टिकट के लिए हाथ पांव मार रहे हैं। इसमें बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे से लेकर भाई तक और पूर्व मंत्री और विधायक के रिश्तेदारों तक के नाम शामिल हैं।
Asianet News Hindi | Published : Jan 10, 2020 10:04 AM IST / Updated: Jan 10 2020, 03:48 PM IST
विधानसभा गठन के बाद दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री रहे मदनलाल खुराना के पुत्र हरीश खुराना मोतीनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। खुराना बीजेपी के दिग्गज नेता और पंजाबी चेहरा माने जाते थे, इसी का नतीजा है कि 1993 में बीजेपी दिल्ली में चुनावी जंग जीतने में सफल रही तो उनके सिर मुख्यमंत्री का ताज सजा था। अब अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए हरीश खुराना टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि पिछले कई चुनावों में उनकी दावेदारी रही है, लेकिन अबतक टिकट हासिल नहीं कर सके हैं। ऐसे में देखना होगा कि पार्टी इस बार उन पर भरोसा जताती है या फिर नहीं। हरीश खुराना इस समय प्रदेश भाजपा में प्रवक्ता की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सीएम पद का चेहरा रहे प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा के पुत्र अजय मल्होत्र ग्रेटर कैलाश से दावेदारी जता रहे हैं। हालांकि पार्टी ने उन्हें 2013 में इस विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज के हाथों हार गए थे। ऐसे में एक बार फिर से टिकट मांग रहे हैं। विजय कुमार मल्होत्रा एक दौर में दिल्ली में बीजेपी का दिग्गज नेता माने जाते थे और पार्टी के पंजाबी चेहरा थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लोकसभा चुनाव दक्षिण दिल्ली की सीट से हराया था।
असम के राज्यपाल जगदीश मुखी के पुत्र अतुल मुखी भी जनकपुरी विधानसभा सीट से टिकट की दौड़ में शामिल हैं। इस सीट से उनके पिता पांच बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और शीला दीक्षित के दौर में विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हुआ करते थे। हालांकि, जगदीश मुखी को 2015 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था और अब वह दिल्ली की चुनावी राजनीति से दूर राज्यपाल की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। ऐसे में उनके बेटे अतुल मुखी पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है।
दिल्ली की तिलक नगर से विधायक रहे ओपी बब्बर के बेटे और प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर तीसरी बार इस सीट से चुनावी मैदान में उतरने की दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि 2013 और 2015 में बीजेपी ने उन्हें इस सीट से टिकट दिया गया था, लेकिन वह विधानसभा नहीं पहुंच सके थे।
पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के भाई और सांसद प्रवेश वर्मा के चाचा मास्टर आजाद सिंह भी तीसरी बार मुंडका सीट से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। आजाद सिंह को भी दो बार हार का सामना करना पड़ा है। घोंडा सीट से पूर्व विधायक साहिब सिंह चौहान की विरासत संभालने के लिए उनकी बहू पूनम चौहान चुनाव लड़ना चाहती हैं। हालांकि साहिब सिहं चौहान के बेटे प्रवेश सिंह चौहान मौजूदा समय में सांसद हैं। ऐसे में पार्टी एक ही परिवार से दो टिकट दे यह कहना थोड़ा मुश्किल है।
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वजीरपुर के पूर्व विधायक मांगेराम गर्ग के पुत्र सतीश गर्ग टिकट की रेस में बताए जाते हैं। वे पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वजीरपुर सीट से टिकट मांग रहे हैं। पूर्व विधायक मोती लाल सोढ़ी के बेटे हीरा सोढ़ी बल्लीमारान सीट से टिकट की दावेदारी की है और पूर्व विधायक मदनलाल गाबा के बेटे दीपक गाबा विश्वासनगर से टिकट मांग रहे हैं। ऐसे ही उत्त्तर प्रदेश की अमरोहा सीट से सांसद कंवर सिंह तंवर अपने बेटे ललित तंवर के लिए छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांग रहे हैं।
माना जा रहा है कि बीजेपी दिल्ली के किले को फतह करने के लिए इन दिग्गजों पर दांव खेल सकती है, क्योंकि इन सारे नेताओं का अपना-अपना राजनीतिक आधार है।