दिल्ली चुनाव में ये हैं 10 दिग्गज मुस्लिम चेहरे, BJP ने किसी को नहीं दिया है टिकट
नई दिल्ली. राजधानी में हो रहेविधानसभा चुनाव में वोटिंग तारीख जैसे-जैसे नजदीक होती जा रही है वैसे-वैसे मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। दिल्ली का सियासी संग्राम आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच सिमटता जा रहा है। सीएए-एनआरसी के विरोध के बीच दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाके की विधानसभा सीटों पर सभी की निगाहें हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पांच-पांच मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं तो बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है।
Asianet News Hindi | Published : Jan 31, 2020 6:24 AM IST / Updated: Jan 31 2020, 12:00 PM IST
ऐसे में हम आपको कांग्रेस और आम आदमी के उन मुस्लिम उम्मीदवारों के बारे में बता रहे हैं जिन पर इस बार दिल्ली चुनाव में हर किसी की नजरें टिकी रहेंगी। दोनों ही पार्टी में कुछ दिग्गज मुस्लिम नेता भी रहे हैं जो अपने गढ़ में जनता के बीच पक्की पकड़ रहते हैं।
अमानतुल्ला खान- आम आदमी पार्टी से ओखला सीट से चुनाव ताल ठोक रहे अमानतुल्ला खान काफी विवादों में पांच साल रहे हैं। केजरीवाल की पार्टी के मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं। 2015 में वो पहली बार ओखला सीट से विधायक चुने गए और केजरीवाल ने उन्हें वक्फ बोर्ड का चेहरमैन नियुक्त किया था। जामिया हिंसा में भी अमानतुल्ला खान का नाम आया था और दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज किया है।
हाजी युनूस- मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हाजी युनूस दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। इससे पहले वो 2015 में बीजेपी के उम्मीदवारों के हाथ महज 6 हजार वोटों से हार गए थे, लेकिन इस बार वो केजरीवाल के काम के सहारे विधानसभा पहुंचने की उम्मीद लगाए हुए हैं।
चौधरी मतीन- सीलमपुर सीट पर कांग्रेस से उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे चौधरी मतीन काफी दिग्गज नेता माने जाते हैं। वो इस सीट से 1993 से लेकर 2013 तक लगातार पांच बार विधायक रहे हैं और अब एक बार फिर ताल ठोक रहे हैं। शीला सरकार में वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रह चुके हैं।
मिर्जा जावेद अली- मटिला महल सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे मिर्जा जावेद अली दिल्ली कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के अध्यक्ष रहे। इतना ही नहीं चांदनी चौक जिले में कांग्रेस पार्टी के संगठन की कमान भी संभाल चुके हैं।
परवेज हाशमी- ओखला विधानसभा सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे परवेज हाशमी काफी कद्दावर नेता माने जाते हैं। इस सीट से वो 1993 से लेकर 2008 तक लगातार चार बार विधायक रहे हैं। वो इस सीट से कभी भी चुनाव नहीं हारे हैं, लेकिन बीच में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होने के चलते उन्होंने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था और अब पार्टी ने एक बार उतारा है। परवेज हाशमी शीला दीक्षित की पहली सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
शोएब इकबाल- मटियामहल विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे शोएब इकबाल दिल्ली के कद्दावर मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं। वो मटियामहल सीट से पांच बार अलग-अलग पार्टियों से विधायक रहे हैं, लेकिन 2015 में हार गए थे। इस बार केजरीवाल की पार्टी से चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं।
इमरान हुसैन - केजरीवाल सरकार में मंत्री और बल्लीमरान सीट से विधायक इमरान हुसैन एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे हैं। वो 2015 में पार्षद से विधायक चुने गए थे और केजरीवाल ने अपनी कैबिनेट में जगह थी।
हारुन यूसुफ- बल्लीमरान सीट से कांग्रेस से चुनावी मैदान में उतरे हारुन यूसुफ पार्टी का मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं। इस सीट से चार बार विधायक रहे और शीला सरकार में मंत्री रहे हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP चुनाव हार गए थे और अब एक बार फिर से मैदान में उतरे हैं।
अब्दुल रहमान- सीलमपुर सीट से आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर अब्दुल रहमान को टिकट दिया है। रहमान पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े रहे हैं, इससे पहले वो पार्षद का चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके थे। 2017 में उनकी पत्नी पार्षद चुनी गई है।
अली मेंहदी- कांग्रेस से सीलमपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे अली मेंहदी पहली चुनावी मैदान में उतरे हैं। हालांकि उन्हें विरासत में सियासत मिली है उनके पिता हसन अहमद इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। अली मेंहदी दिल्ली में कांग्रेस अल्पसंख्यक कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।