कपिल मिश्रा पहले गरजे- सड़कें खुलवाना हमारा अधिकार, धर्म का पालन किया; फिर तुरंत डिलीट किया ट्वीट
नई दिल्ली। अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पहले नागरिकता कानून के समर्थन और विरोध को लेकर दिल्ली में हिंसक झड़पें हुईं। दिल्ली हिंसा के लिए बीजेपी नेता जहां विपक्ष के रवैये की आलोचना कर रहे हैं वहीं विपक्ष इसके लिए केंद्र की सरकार, दिल्ली पुलिस के रवैये और बीजेपी नेताओं की बयानबाजी को जिम्मेदार ठहरा रहा है। खासकर दंगे भड़कने के बाद बीजेपी के टिकट पर मॉडल टाउन से चुनाव लड़ने वाले बीजेपी नेता कपिल मिश्रा विपक्ष के निशाने पर हैं।
Asianet News Hindi | Published : Feb 26, 2020 11:53 AM IST / Updated: Feb 26 2020, 07:23 PM IST
दरअसल, जाफराबाद हिंसा के बाद नागरिकता कानून के लिए खिलाफ शुरू हुए नए धरना प्रदर्शन को लेकर कपिल मिश्रा ने एक किया ट्वीट और दिल्ली पुलिस को अल्टीमेटम देते हुए कहा था, "वो दिल्ली में दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे। इसे खाली कराइए।" विपक्ष का आरोप है कि कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयानों के बाद ही दिल्ली में झड़पों ने हिंसक रूप ले लिया।
कपिल दिल्ली की हिंसा को लेकर लगातार ट्वीट कर रहे हैं। बुधवार को भी कपिल ने कई ट्वीट्स किए हैं। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "सड़कें खुलवाना हमारा अधिकार है। किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। मैनें अपने धर्म का पालन किया। सत्य और धर्म की जीत होगी।" हालांकि कुछ ही देर बाद ये ट्वीट कपिल के अकाउंट से डिलीट कर दिया गया। यह भी हो सकता है कि सेंसेटिव होने की वजह से ट्विटर इंडिया ने कपिल का ये ट्वीट हटा दिया हो। सेंसिटिव कंटेंट को लेकर ट्विटर अपनी तरह से ऐसी कार्रवाई करता रहता है।
कपिल मिश्रा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लपेटते हुए एक और ट्वीट किया है जिसमें दिल्ली में हुई हिंसा और आईबी अफसर की मौत के लिए उन्होंने आप के निगम पार्षद को जिम्मेदार ठहराया है।
कपिल ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, "देखिए आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद ताहिर हुसैन का घर। छत से लगातार पत्थर, पेट्रोल बम चलाये गए। बाद में इन्हीं लड़कों ने IB अफसर अंकित शर्मा की हत्या कर लाश नाले में फेंकी। ताहिर हुसैन गिरफ्तार हो और उसका फोन चेक हो, लोगो का कहना है वो लगातार केजरीवाल से बात कर रहा था।"
बताते चलें कि दिल्ली के कई इलाकों में हालत बहुत खराब है। सुरक्षा एजेंसियों ने यहां देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं। दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 200 से ज्यादा लोग जख्मी भी हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से शांति की अपील की है। उधर, कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शह से इस्तीफा मांगा है।
उधर, दिल्ली के हालात पर एनएसए अजित डोभाल ने दिल्ली पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की है। उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा को लेकर डोभाल ने मंगलवार देर रात दिल्ली पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ इसी तरह की बैठक की थी ।
दिल्ली हिंसा की वजह से सीबीएसई ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उत्तर पूर्वी दिल्ली में कल यानी गुरुवार को होने वाली 12वीं कक्षा की अंग्रेजी की परीक्षा को ताल दिया है।
दिल्ली हिंसा को लेकर देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने आरोप लगाया कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ खड़े हुए जनविरोध को खत्म करने के लिए दिल्ली के कई इलाकों में जानबूझकर हिंसा कराई गई है।
जमीयत प्रमुख अरशद मदनी ने कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए जिस तरह से दिल्ली को दंगे कि आग में झोका गया वो बौट ही दुखद है।
दिल्ली हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विफल पुलिस की खिंचाई की है। कोर्ट ने नए सीएए के मुद्दे पर हुए दंगों से संबंधित याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया।
हालांकि उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा में घायलों की मदद के लिए उच्च न्यायालय ने पुलिस की सराहना भी की है।
दोनों तरफ की हिंसा में भीड़ की ओर से धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई।
दिल्ली में पुलिस काफी सतर्क है। सभी सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं।
दिल्ली हिंसा में सबसे ज्यादा गोकुलपुरी, भजनपुरा, मौजपुर जाफराबाद इलाके प्रभावित हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को FIR दर्ज करने को लेकर विवेकपूर्ण फैसला करने और इस बारे में गुरुवार को अदालत अवगत कराने को कहा है।