FAKE CHECK: बिहार में 1 लाख रु. किलो वाली हॉप शूट सब्‍जी के दावे का भंडाफोड़, सच जान दंग रह गए लोग

फेक चेक डेस्क. सोशल मीडिया एक ऐसी भयानक दुनिया है जहां सिर्फ तमाशा ही नहीं होता कई बार इसकी वजह से हंगामे और दंगे भी हो जाते हैं। कोई रातो-रात स्टार बन जाता है तो ज्यादातर मामलों में इंसान घर बैठे उल्लू बन जाता है। ऐसे ही बीते कुछ दिनों से एक अद्भुत किसान की चमत्कारी सब्जी चर्चा में थी। फेसबुक, ट्विटर पर करोड़पति बनने वाले किसान का जलवा चढ़ ही रहा था कि भंडाफोड़ हो गया। सोशल मीडिया पर लोग इस लाखों की सब्जी वाली FAKE Farming खबर से बेवकूफ बन गए। एक लाख रु. प्रति किलो  वाली दुनिया की सबसे महंगी सब्जी उगाने का दावा करने वाले इस किसान की सच्चाई किसी को भी हैरान कर सकती है। पिछले कुछ दिनों से दावा किया जा रहा था कि बिहार (Bihar) में एक किसान ने हॉप शूट्स (Hop Shoot) नाम की सबसे मंहगी सब्जी उगाई है जिसकी कीमत ही लाखों में हैं। देखते ही देखते लोग इस कहानी से इतने प्रभावित हो गए इसे कृषि क्षेत्र में बेंचमार्क कहा जाने लगा। एक लेडी IAS अफसर ने भी इस कहानी को साझा किया तो लोग किसान की असलियत जानने टूट पड़े। लेकिन फेक चेक में किसान और फसल दोनों की कहानी हवा-हवाई निकली है। आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है? 

Kalpana Shital | Published : Apr 3, 2021 10:46 AM IST / Updated: Apr 03 2021, 04:29 PM IST

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FAKE CHECK: बिहार में 1 लाख रु. किलो वाली हॉप शूट सब्‍जी के दावे का भंडाफोड़, सच जान दंग रह गए लोग

वायरल पोस्ट क्या है?

 

आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू ने एक न्यूज क्लिप और फसलों की तस्वीर के साथ एक ट्वीट किया, "इस सब्जी के एक किलोग्राम की कीमत लगभग 1 लाख है ... भारतीय किसानों के लिए गेम-चेंजर हो सकती है," उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा। इस ट्वीट को 24,000 से अधिक "लाइक" मिले और 5,000 से अधिक बार रीट्वीट किया गया।

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पूरा मामला क्या है? 

 

बहुत सी मुख्य वेबसाइट पर ये खबर जमकर वायरल है। दावा है कि,  बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले 38 वर्षीय किसान अमरेश सिंह हॉप शूट्स की खेती कर रहे हैं। 2012 में हजारीबाग के सेंट कोलंबस कॉलेज से 12वीं पास करने वाले अमरेश नवीनगर ब्लॉक के कमरडीह गांव में अपनी जमीन पर हॉप शूट्स की खेती कर रहे हैं। 6 साल पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस सब्जी की कीमत 1000 पाउंड प्रति किलोग्राम थी, जो लगभग एक लाख रुपए के बराबर है। भारत में यह सब्जी न के बराबर दिखती है और सिर्फ ऑर्डर देकर ही खरीदी जाती है।

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न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में बताया गया था कि, किसान अमरेश सिंह ने मीडिया को बताया कि मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हॉप शूट्स की 60 प्रतिशत से अधिक खेती सफल रही है। अमरेश सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से भी एक अपील की। उन्होंने कहा कि यदि पीएम मोदी हॉप-शूट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष व्यवस्था करते हैं तो कुछ वर्षों में किसानों को कृषि के अन्य माध्यमों के मुकाबले 10 गुना अधिक कमाई होगी। सिंह बताते हैं कि हॉप-शूट्स की खेती ब्रिटेन, जर्मनी समेत अन्य यूरोपीय देशों में की जाती है। भारत में पहले हिमाचल प्रदेश में इसकी खेती होती थी, लेकिन कीमत अधिक होने के कारण इसकी मार्केटिंग ठीक से नहीं हो पाई और बाद में खेती बंद हो गई। 
 

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सच्चाई क्या है? 

 

IAS अधिकारी के एक ट्वीट के बाद, कहानी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गई तो लोगों ने सब्जी वाले के बारे में ऑनलाइन जांच-पड़ताल शुरू कर दी। इसके बाद भंडाफोड़ हो गया। खबर इतनी वायरल हो गई कि, मीडिया चैनल दैनिक जागरण गांव में उस किसान शख्स से मिलने पहुंच गया। रिपोर्ट में सामने आया कि, बिहार में ऐसी सब्जी की खेती का दावा पूरी तरह फर्जी है। 80 हजार से एक लाख रुपये प्रति किलो की ऐसी सब्जी उगाने वाला कोई शख्स नहीं है। जागरण की जमीनी पड़ताल में न तो ऐसा कोई खेत मिला, न ही ऐसी सब्जी मिली। औरंगाबाद जिले के नवीनगर प्रखंड के करमडीह गांव के एक युवक अमरेश सिंह (Farmer Amresh Singh) द्वारा विश्‍व की सबसे महंगी सब्‍जी हॉप शूट्स (Hop Shoots) की कथित खेती की कहानी झूठी निकली।

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जागरण के पत्रकार ने अमरेश से बात की तो उन्होंने दावा किया है कि उसने ट्रायल के तौर पर खेती शुरू की, पर बीमार पड़ जाने की वजह से उनके पार्टनर इसकी देखरेख नहीं कर सके। इस वजह से फसल सूख गई। अब वे फिर से खेती करेंगे। वहीं, विभिन्‍न समाचार माध्‍यमों में यह दावा किया जा रहा है कि खेती 60 फीसद तक सफल रही थी। हां, यह जरूर है कि अमरेश ने काले चावल और काले गेहूं उगाए थे, जिसकी खेती बिहार में कई जगहों पर की जा रही है। पर, हॉप शूट्स तो कहीं नजर नहीं आया।

 

जागरण की फेक चेकिंग रिपोर्ट के मुताबिक,  बहरहाल, इस खबर ने कृषि विभाग को चौंकाया। कृषि अधिकारी इसे देखने जब गांव पहुंचे तो वहां ऐसी कोई खेती नहीं की जा रही थी। स्थानीय लोगों ने भी इस संबंध में अनभिज्ञता जाहिर की। सहायक उद्यान निदेशक जितेंद्र कुमार ने बताया कि जब उन्होंने पड़ताल की तो पता चला कि ऐसी कोई खेती औरंगाबाद में नहीं की गई है। उद्यान निदेशक जितेंद्र कुमार ने बताया कि अमरेश के दावे की उच्चस्तरीय जांच की जा रही है। अगर फर्जी खेती (Fake farming) का मामला निकला तो कार्रवाई भी की जाएगी। जिला कृषि कार्यालय के अधिकारी इस पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

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मीडिया ने जब अमरेश से संपर्क किया तो उसने खुद के बीमार होने की बात कही। इस खेती के लिए वाराणसी में डॉ. लाल से प्रशिक्षण वाली बात भी फर्जी और हवा-हवाई निकली। इस संबंध में जब भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र, वाराणसी के निदेशक डॉ. जगदीश सिंह बात की गई, तो उन्‍होंने पूरी खबर को फर्जी बताते हुए कहा कि उनके यहां न कोई डॉ. लाल हैं और न ही हॉप शूट्स नाम की दुनिया की सबसे महंगी सब्जी का बीज तैयार किया गया है।

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मेंथा की फोटो बताई गई हॉप शूट 

 

पड़ताल में शुक्रवार को जागरण टीम ने अमरेश की खेती की फोटो देखी तो वो मेंथा की फसल निकली जिसे हॉप शूट बताया जा रहा था। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जो तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर दिख रही है वह हॉप शूट्स नहीं है।

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