वोट बैंक के लिए मनोज तिवारी ने इमाम को 500 रु. में खरीदा, जान लें अफवाह की सच्चाई

नई दिल्ली. राजधानी में विधानसभा चुनाव की गर्मागर्मी के बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर जमकर वायरल हो रही है। फोटो में दिल्ली भजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और दिल्ली के जामा मस्जिद के 13 वें शाही इमाम नजर आ रहे हैं। फोटो के सथ दावा किया जा रहा है कि, बीजेपी सांसद तिवारी ने मात्र 500 रुपये में इमाम अहमद बुखारी को खरीद लिया है। हालांकि वायरल हो रही इस फोटो की सत्यता जाने बिना ही लोग इसे धड़ाधड़ शेयर कर रहे हैं। आइए जानते हैं आखिर इस फोटो और उसके साथ किए जा रहे दावे के पीछे असलियत क्या है? 

Kalpana Shital | Published : Jan 19, 2020 10:11 AM IST
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वोट बैंक के लिए मनोज तिवारी ने इमाम को 500 रु. में खरीदा, जान लें अफवाह की सच्चाई
दरअसल सोशल मीडिया यूजर्स फोटो को फरवरी में होने वाले दिल्ली चुनाव से पहले भाजपा की वोट बैंक की राजनीति के तौर पर शेयर कर रहे हैं।
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मनोज तिवारी का नाम आगामी दिल्ली चुनावों में भाजपा की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में सुर्खियों में है। इसी बीच तिवारी की एक तस्वीर वायरल हो रही है। इस फोटो में मनोज तिवारी इमाम बुखारी को कुछ तोहफा भेंट कर रहे हैं जिसमें ड्राई फ्रूट्स बगैरह हैं। फोटो के साथ लोग दावा कर रहे हैं दिल्ली चुनाव के लिए मनोज तिवारी इमाम से समर्थन मांगने गए थे।
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फोटो को कई यूजर्स ने शेयर किया और लोग दावा करने लगे कि इमाम बुखारी मात्र 500 रुपये में बिक गया। एक अन्य यूजर ने लिखा- “चोर चोर मौसेरे भाई” दिन भर मुस्लिम को कोसने वाले (मनोज तिवारी) गए हैं शाही इमाम का समर्थन मांगने, खैर समर्थन भी उस शख्स से मांग रहे हैं जिसकी मुस्लिम समाज मे कोई इज्जत ही नहीं बची है…वोट क्या घंटा दिलाएंगे। ”
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के तहत शेयर की जा रही इस तस्वीर की जब फैक्ट चेकिंग की गई तो सारा माजरा खुल गया। दरअसल हाल के दिनों में मनोज तिवारी ने दिल्ली जामा मस्जिद इमाम से कोई मुलाकात नहीं की है। ये तस्वीर गूगल रिवर्स सर्च इमेज में 6 मई, 2017 की पाई गई है जब बुखारी मनोज तिवारी के घर मिलने पहुंचे थे। मनोज तिवारी के घर हुए हमले की घटना पर उनका हाल-चाल लेने के लिए इमाम बुखारी ने उनके निवास स्थान का दौरा किया था। इसके बाद तिवारी ने अपने दोस्त बुखारी को एक तोहफा भेंट किया।
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साल 2017 में इमाम बुखारी और बीजेपी सांसद की हुई मुलाकात की तस्वीर को अब सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। जबकि तस्वीर तीन साल पुरानी है।
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