Fact Check: क्या भारत-चीन विवाद में शहीद हुए सैनिकों को है ये तस्वीर? शेयर करने से पहले जानें असली कहानी

नई दिल्ली.  पूरी दुनिया में भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद की चर्चा है। चीन ने गलवान घाटी में हमला बोला था जिसमें हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए। इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दुख जता चुके हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर चीन के खिलाफ भारतवासियों का गुस्सा फूट रहा है। ज़मीन पर एक कतार में रखे हुए कई सारे जवानों के शव की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है। तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि ये लद्दाख में हुए भारत-चीन सीमा विवाद से जुड़ी हुई है और तस्वीर में दिख रहे शव भारतीय सैनिकों के हैं। फोटो में सैनिकों के चेहरे छिपाए गए हैं वहीं लोग इसे धड़ाधड़ फॉरवर्ड कर रहे हैं। 

 

फैक्ट चेकिंग में हमने तस्वीर की सच्चाई जानने की कोशिश की- 

Asianet News Hindi | Published : Jun 20, 2020 9:06 AM IST / Updated: Jun 22 2020, 01:39 PM IST

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Fact Check: क्या भारत-चीन विवाद में शहीद हुए सैनिकों को है ये तस्वीर? शेयर करने से पहले जानें असली कहानी

चीन ने 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारतीय सैनिकों को छोड़ने से मना कर दिया। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत के बाद चीन का रुख नरम हुआ। गलवान घाटी में झड़प के बाद चीन ने भारतीय सैनिकों को तीन दिनों के लिए बंदी बना लिया था। पीएलए के साथ लगातार तीन दिनों तक चली अथक बातचीत के बाद भारतीय सेना के जवानों की रिहाई हो पाई है। चीनी सैनिकों के बर्बर हमले के बाद हिरासत में ले लिए गए इन सैनिकों को गुरुवार अपराह्न रिहा किया गया। इस बीच सोशल मीडिया पर भारत-चीन विवाद के बाद की कुछ शहीद हुए जवानों की फोटो वायरल हो रही है। 

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वायरल पोस्ट क्या है?  

 

एक फ़ेसबुक पेज ‘Turkpora bpr’ ने ये तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “ #BREAKING हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ‘हमारे सैनकों के बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगे। लद्दाख में हुए विवाद के बाद।’

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

एक और फ़ेसबुक पेज ‘कश्मीर अपडेट’ ने 17 जून को ये तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “Pic From #Ladakh Indian Army” आर्टिकल लिखे जाने तक इस तस्वीर को 600 से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका है।  वेबसाइट ‘en.baaghitv.com’ ने 17 जून 2020 को एक आर्टिकल में ये तस्वीर भारतीय सैनकों की बताकर शेयर की। 

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फ़ैक्ट-चेक

 

जांच-पड़ताल में हमने पाया कि ये तस्वीर भारत की नहीं बल्कि नाइजीरिया की है। यानडेक्स (YanDex) रिवर्स इमेज सर्च से ‘nairaland’ नामक वेबसाइट का 12 दिसंबर 2015 का एक आर्टिकल मिला। आर्टिकल में वायरल तस्वीर के अलावा और भी कई तस्वीरें शेयर करते हुए बताया गया कि नाइजीरिया में बोको हराम नाम के इस्लामिक ग्रुप के आतकंवादियों के साथ हुई लड़ाई में 105 सिपाही मारे गए थे। 

 

2015 के एक ब्लॉगपोस्ट में इस तस्वीर पोस्ट करते हुए नाइजीरियन सिपाहियों और बोको हराम के बीच हुई झड़प के बारे में बताया गया है। 

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दरअसल 2015 में नॉर्थ इस्ट नाइजीरिया के बोर्नो स्टेट में बोको हराम और नाइजीरियाई सेना के बीच टकराव हुआ था। ‘प्रीमियम टाइम्स’ की 15 नवंबर 2015 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बोको हराम और नाइजीरिया के सैनिकों के बीच हुई लड़ाई में 105 नाइजीरियन सिपाही लापता हो गए थे जो कि काफ़ी गंभीर बात थी।

 

इस मामले को फ़ॉलो-अप करते हुए पता चला कि टकराव में 105 नाइजीरियन सिपाहियों की लाश बरामद हुई थी। इसके बाद ह्यूमन राइट्स राइटर्स एसोसिएशन ऑफ़ नाइज़ीरिया (HURIWA) ने 105 जवानों की लाश को गुप्त तरीके से दफ़नाने का विरोध करते हुए सरकार से इस पूरे मसले पर जवाब मांगा था। 

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ये निकला नतीजा 

 

इस तरह 2015 में नाइजीरिया में एक आतंकवादी संगठन के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए नाइजीरियन सिपाहियों की तस्वीर हालिया भारत-चीन के सीमा विवाद के दौरान भारतीय सैनिकों की बताकर शेयर की गई। फर्जी दावों को नजरअंदाज करें।
 

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