'इतना घातक है कोरोना कि वैक्सीन लगवाने वाली महिला वैज्ञानिक की भी हो गई मौत', जानें सच

नई दिल्ली.  कोरोना के कारण पूरी दुनिया में करीब 2 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों की तादाद में ही लोग संक्रमित भी हैं। भारत में भी कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर एक खबर से लोगों को झटका लगा है। दावा किया जा रहा है कि रविवार को एक समाचार वेबसाइट ने दावा किया कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए पहले स्वयंसेवक की मौत हो गई है। बहुत से लोगों ने कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के लिए खुद आगे बढ़कर खुद को पेश किया।

 

ग्रेनेटो ने भी वैक्सीन के इंजेक्शन लगवाए थे अब उनकी मौत की खबर से बवाल मच गया है। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि सच्चाई क्या है? 

Asianet News Hindi | Published : Apr 28, 2020 9:21 AM IST / Updated: Apr 28 2020, 03:20 PM IST

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

यह आर्टिकल “News NT ” नाम की वेबसाइट पर छपा है, जिसमें दावा किया गया है कि एलीसा ग्रेनेटो नाम के वैज्ञानिक की कोरोना वायरस की “वैक्सीन देने के दो दिन बाद मौत हो गई। ” इस लेख में दावा किया गया है कि “वैक्सीन के उल्टा रिएक्शन करने की वजह से चार और स्वयंसेवकों की हालत खराब है.” वेबसाइट के इस आर्टिकल से हड़कंप मच गया है।

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

हूबहू यही कहानी एक अन्य वेबसाइट “The Nigerian News ” ने भी छापा है। फेसबुक पर तमाम लोगों ने इस गलत सूचना को शेयर किया है। ट्विटर यूजर “Simon Jaysek ” ने “News NT” का आर्टिकल शेयर करते हुए लिखा, “कोरोना वायरस की वैक्सीन ट्रायल के लिए पहले स्वयंसेवक की मौत हो गई है।”

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सच क्या है? 

 

दरअसल फैक्ट चेकिंग में हमने पाया कि, वायरल हो रहा ​आर्टिकल अफवाह है। एलीसा ग्रेनेटो, जिन्हें ह्यूमन ट्रायल के लिए पहली कोरोना वायरस वैक्सीन दी गई थी, वे एकदम से स्वस्थ हैं।

 

हमने पाया कि ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने भी इस गलत खबर का खंडन करते हुए ट्वीट किया है कि “सोशल मीडिया पर यह खबर चल रही है कि ब्रिटेन के कोरोना वायरस वैक्सीन परीक्षण में पहले स्वयंसेवक की मौत हो गई है, यह पूरी तरह से झूठ है।”
 

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इसके जवाब में ट्विटर हैंडल “@surrey13” ने लिखा कि यह खबर गलत है यूजर ने दावा किया कि एलीसा ग्रेनेटो ने अपने ट्विटर हैंडल @Prokaryota पर इस दावे का खंडन किया है और कहा है कि वे स्वस्थ हैं।

 

हालांकि ग्रेनेटो का ट्विटर हैंडल प्रोटेक्टेड है, इसलिए उनकी पोस्ट वही लोग देख सकते हैं, जिन्हें उन्होंने अप्रूव किया हो।  ग्रेनेटो ने एक ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा है, “मेरी मौत पर एक फर्जी आर्टिकल घूम रहा है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है... मैं एकदम ठीक हूं, कृपया इस लेख को शेयर न करें. हम उन्हें महत्व नहीं देना चाहते। इससे बेहतर है ​कोई अच्छा काम करें।”

 

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ये निकला नतीजा- 

 

अंग्रेजी अखबार “Mirror ” ने भी इस खबर का खंडन करते हुए ​लिखा है कि ग्रेनेटो जिंदा हैं और स्वस्थ हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये खबर पूरी तरह फर्जी है। 

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द ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन ग्रुप, जिसके तहत डॉ एलिसा पर ट्रायल किया गया, उसके मुताबिक, सितंबर तक कोरोना का वैक्सीन तैयार कर दिया जाएगा। यूके में कोरोना ने भारी तबाही मचाई है। इस देश के पीएम को भी वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया था। 

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वैक्सीन के ट्रायल के कुछ घंटे बाद सोशल मीडिया पर खबर फ़ैल गई कि वैक्सीन के कुछ घंटे के बाद एलिसा की मौत हो गई। सब इस खबर से निराशा में डूब गए थे लेकिन वो बिल्कुल ठीक हैं। 

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