RSS चीफ मोहन भागवत के बयान को गलत समझ बैठे लोग, अंग्रेजी मीडिया ने भी कर दिया 'ब्लंडर'

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 19 फरवरी को झारखंड के रांची में मुखर्जी विश्वविद्यालय में एक संभा को संबोधित किया। यहां उनके भाषण के एक छोटे से हिस्से को को काफी चर्चा मिली और उसके आधार पर बहुत से प्रतिष्ठित मीडिया सस्थानों ने कोट करते हुए लिखा, भागवत ने कहा, “राष्ट्रवाद शब्द का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि यह हिटलर या नाजी से लिया गया है।" इसका एक क्लिप जमकर वायरल हुआ जिसमें वे कहते नजर आए कि नेशनलिज्म शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भागवत के बयान के बाद नेशनलिज्म शब्द पर बहस भी छिड़ गई। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं वायरल हो रहे बयान की पूरी सच्चाई आखिर क्या है?

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2020 12:50 PM IST / Updated: Feb 25 2020, 07:42 PM IST

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RSS चीफ मोहन भागवत के बयान को गलत समझ बैठे लोग, अंग्रेजी मीडिया ने भी कर दिया 'ब्लंडर'
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर नेशनलिज़्म शब्द ट्रेंड होने लगा था। कई तरह के मीम्स और जोक्स भी बनने लगे। संघ प्रमुख को बयाना की वजह से आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। हालांकि किसी भी मीडिया संस्थान ने भागवत का पूरा भाषण नहीं दिखाया।
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देश के प्रमुख अंग्रेजी मीडिया संस्थानों ने भी संघ प्रमुख के भाषण को कवर किया था। यहां वे बच्चों को संबोधित कर रहे थे। ऐसे में वो बच्चों को शब्दों के प्रयोग और भाषा के इस्तेमाल को लेकर समझा रहे थे। मीडिया में आई रिपोर्ट्स में बताया गया कि भागवत ने बच्चों से कहा, "नेशनलिज्म शब्द का इस्तेमाल न करें क्योंकि इसका मतलब हिटलर और नाजीवाद है।" अब बात ये आती है कि क्या वाकई उन्होंने ऐसा कहा ?
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दरअसल मीडिया रिपोर्टस देखने के बाद हमने यूट्यूब पर संघ प्रमुख का पूरा भाषण सुना। 19 फरवरी को VSK JHARKHAND द्वारा दो भागों में संघ प्रमुख का पूरा भाषण अपलोड किया गया है। इसमें भागवत यूनाइटेड किंगडम की एक पुरानी यात्रा का जिक्र कर रहे हैं। पहले भाग में, भागवत राष्ट्रवाद के बारे में बोलना शुरू करते हैं। उसी छोटी सी क्लिप को लेकर लोग सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया था।
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हालांकि इससे पहले उन्होंने आरएसएस द्वारा नीतियों और भारत के विकास के साथ कैसे जुड़े हुए हैं, इस बारे में बात की। उन्होंने नेशनलिज्म शब्द को लेकर अपना पक्ष नहीं रखा है बल्कि अपनी यात्रा के दौरान इंग्लैंड के लोगों की नेशनलिज्म शब्द को लेकर सोच को बताया था। पूरे भाषण में वो कहते हैं कि, कुछ वर्ष पूर्व संघ की योजना से UK जाना हुआ तो वहां के बुद्धिजीवियों से बात होती थी। चालीस पचास शहरी लोगों से संघ के बारे में चर्चा हुई थी।
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वहां के अपने कार्यकर्ता ने कहा कि शब्दों के अर्थों के बारे में सावधान रहिए, अंग्रेज़ी आपकी भाषा नहीं है और आप अपने पुस्तक में जो अंग्रेजी पढ़ी है उसके अनुसार बोलेंगे। परंतु यहां बातचीत में शब्दों के अर्थ भिन्न हो जाते हैं। इसलिए आप नेशनलिज़्म शब्द का उपयोग मत कीजिए, आप नेशन कहेंगे चलेगा, नेशनल कहेंगे चलेगा, नैशनेलिटी कहेंगे चलेगा, नेशनलिज़्म मत कहो। क्योंकि नेशनलिज़्म का मतलब होता है हिटलर, नाजीवाद और फासीवाद। अब ऐसे ये शब्द वहां बदनाम हुआ है। परंतु हम जानते हैं कि एक राष्ट्र के नाते भारत जब-जब बड़ा हुआ तब तब दुनिया का भला ही हुआ है।
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भागवत का पूरा भाषण सुनने के बाद साफ होता है कि मीडिया ने संघ प्रमुख के बयान को तोड़मोड़कर पेश किया। उन्होंने नेशनलिज्म शब्द के भारत में इस्तेमाल को लेकर कोई पक्ष नहीं रखा बल्कि वो अपनी यात्रा के दौरान इंग्लैंड में नेशनलिज्म शब्द को लेकर लोगों की सोच के बारे में बता रहे थे। और इसे मीडिया ने भागवत का बयान बता डाला।
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