FAKE CHECK: क्या दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान खींची गई कुर्सियों के बीच से उगे पेड़ों की ये तस्वीर? जानें सच

करियर डेस्क. सोशल मीडिया पर इन दिनों एक ऐसे जंगल की तस्वीर, जिसमें कुर्सियों के बैकरेस्ट और सीट के बीच में से पेड़ निकल आए हैं। पिछले कई सालों से शेयर हो रही इस फोटो के साथ एक कहानी भी सुनाई जा रही है। कहा जा रहा है कि ये कुर्सियां साल 1939 में पोलैंड के एक शादी समारोह में मेहमानों के लिए रखी गई थीं। पर, अचानक दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया और मेहमान भाग गए थे। तबसे जंगल में ये कुर्सियां आज तक रखी हुई हैं। फेक चेक में आइए जानते हैं कि आखिर तस्वीर की सच्चाई क्या है?

Asianet News Hindi | Published : Mar 13, 2021 10:25 AM IST
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FAKE CHECK: क्या दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान खींची गई कुर्सियों के बीच से उगे पेड़ों की ये तस्वीर? जानें सच

वायरल पोस्ट क्या है ?

 

कुर्सियां साल 1939 में पोलैंड के एक शादी समारोह में मेहमानों के लिए रखी गई थीं। पर, अचानक दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया और जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया।

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इसके बाद वहां मौजूद सारे लोग आयोजन को छोड़कर चले गए। कई साल बाद पता लगा कि उस शादी वाली जगह पर रखी कुर्सियों के बीच में से पेड़ निकल आए हैं। तबसे इन कुर्सियों को हर साल पेंट किया जाता है।

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फेक चेक

 

हमने सोशल मीडिया कुर्सियों के बीच में से पेड़ निकलने की फोटो की सच्चाई जानने इसे गूगल किया। वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने से यही तस्वीर हमें ‘arthur.io’ नाम की डिजिटल म्यूजियम वेबसाइट पर मिली। यहां दी गई जानकारी के मुताबिक, कुर्सियों के बीच से निकले पेड़ वाला ये फोटो दरअसल ‘द फोर सीजंस ऑफ विवाल्डी’ नाम के आर्ट इंस्टॉलेशन का है। इसे बनाने वाले कलाकार का नाम पैट्रिक डेमेजॉ है।
वो एक तरह का आर्ट इंस्टॉलेशन (कलात्मक संरचना) है, जिसे फ्रांस के आर्टिस्ट पैट्रिक डेमेजॉ ने साल 2001 में बनाया था।

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इस जानकारी की मदद से हमें पैट्रिक की आधिकारिक वेबसाइट का पता चला। इस वेबसाइट में एक फ्रांसीसी पब्लिशिंग वेबसाइट का लिंक दिया है, जिसमें कुर्सियों के बीच से निकलते पेड़ों की कल्पना के बारे में समझाया गया है। यहां फ्रांसीसी भाषा में​ लिखे विवरण के अनुवाद से पता चलता है कि इसमें पैट्रिक ने एक संगीत के कॉन्सर्ट की कल्पना की थी, जिसमें पेड़ कलाकार हैं और कुर्सियों पर बैठकर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। ये आर्ट इंस्टॉलेशन साल 2001 में बेल्जियम में बनाया गया था।

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ये निकला नतीजा

 

इस फोटो के साथ विश्वयुद्ध के बीच पोलैंड की शादी वाली जो कहानी सुनाई जा रही है, वो एकदम बेबुनियाद है। पड़ताल से साफ है कि फ्रांसीसी आर्टिस्ट पैट्रिक डेमेजॉ के बनाए गए एक आर्ट इंस्टॉलेशन को एक भावुक करने वाली मनगढ़ंत कहानी से जोड़कर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है।

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