दुल्हन बबीता ने फेरे से पहले बताई दिल की बात, कहा पिता जिसके लिए मना करते थे वो ख्वाहिश पूरी हो गई


हिसार (हरियाणा). दंगल गर्ल और पहलवान बबीता फोगाट रविवार देर शाम भारत केसरी पहलवान विवेक सुहाग के साथ  परिणय सूत्र में बंध गई। लेकिन बबीता ने दुल्हन का जोड़ा पहनने के बाद और शादी के फेरे लेने से पहले अपने बचपन की एक बात बताई है। बोली- लाल जोड़ा पहनते ही आज मेरी सारी ख्वाहिश पूरी हो गईं। क्योंकि जब हम बहने छोटे थे तो तब किसी की शादी में जाते थे तो वहां दूसरी लड़कियों की चूड़ियां और अंगूठी पहन लेते थे। लेकिन जब पिता जी को पता चलता था तो वह हमको डांट लगाते थे। कहते थे अभी सिर्फ तुम अपनी पहलवानी पर ध्यान दो ना कि मेकअप पर।

Asianet News Hindi | Published : Dec 2, 2019 6:10 AM IST / Updated: Dec 02 2019, 11:56 AM IST

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दुल्हन बबीता ने फेरे से पहले बताई दिल की बात, कहा पिता जिसके लिए मना करते थे वो ख्वाहिश पूरी हो गई
बबीता ने कहा हमको पित कभी भी सजने-संवरने नहीं देते थे, लेकिन चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते थे। आज इस दुल्हन के जोड़े को पहनकर मैं बहुत खुश हूं।’’
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बबीता और विकेक शादी एकदम साधारण तरीके से हुई। यानी इसने फिजूल का खर्चा बचाने का भी संदेश दिया। शाम 7.30 बजे बारात बलाली गांव पहुंची थी।
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दोनों ने शादी के सात फेरे की बजाय 8 फेर लिए। एक फेरे 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का संदेश देने के लिए लिया गया। सके बारे में दूल्हा-दुल्हन दोनों के परिजनों का कहना है कि बेटी और बेटा दोनों समान हैं। बेटियां अगर पढ़ेंगी, तो घर-परिवार और समाज में बेहतर बदलाव आएगा। बेटियों को बचाने की दिशा में भी काम करने की जरूरत है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में बेटियों को लेकर अभी भी भेदभाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
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बताते दें कि बबीता चरखी दादरी के गांव बलाली के रहने वाली हैं। वहीं विवेक झज्जर जिले के मातनहेल गांव से हैं। हालांकि विवेक अभी अपने करियर को देखते हुए दिल्ली के नजफगढ़ में रह रहे हैं। विवेक रेलवे में जॉब करते हैं।
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यह शादी महज एक रुपये कन्यादान और 21 बाराती की मौजूदगी में सादगी से हुई। शादी हरियाणी रीति-रिवाज के साथ हुई।
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2 दिसंबर को जरूरी दोनों पक्ष एक साथ दिल्ली में अपने खास मेहमानों के लिए रिसेप्शन करेंगे। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा कई केंद्रीय मंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और तमाम विदेशी मेहमान शामिल हो सकते हैं।
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बेटी बबीता फौगाट का कन्यादान करने के बाद पिता द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फौगाट ने कहा- कि शादी कार्यक्रम का आयोजन सादगी और फिजूलखर्ची न हो इसका ध्यान रखते हुए किया गया है। उन्होंने लोगों से भी कहा दिखावे के बजाए घर में बेटी को पढ़ाए। उसमें ही पूरे परिवार की शान है।
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