कारगिल की एक कहानी ऐसी: 21 साल से शहीद बेटे के लिए रोज थाली लगाती है मां, मंदिर की तरह सजा रखा कमरा

Published : Jul 26, 2020, 12:09 PM ISTUpdated : Jul 26, 2020, 12:27 PM IST

अंबाला (हरियाणा). आज का दिन देश के लिए गर्व का दिन है, क्योंकि इस दिन भारत के कई वीर सपूतों ने कारगिल युद्ध में अपने प्राण न्यौछावरकर विजय पताका लहराया था। 26 जुलाई 1999 में हुए करगिल युद्ध को 21 साल पूरे हो चुके हैं। इस लड़ाई में कुछ ऐसे भी वीर सपूत थे, जो देश के रियल हीरो के तौर पर उभर कर सामने आये। आइए आपको ऐसे ही एक हरियाणा के शहीद की कहानी बताते हैं, जिनके परिवार के लोग आज भी उनको जीवित मानते हैं।  

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कारगिल की एक कहानी ऐसी: 21 साल से शहीद बेटे के लिए रोज थाली लगाती है मां, मंदिर की तरह सजा रखा कमरा

21 से रोज शहीद बेटे के लिए थाली लगाती है मां
दरअसल, तस्वीर में जो बुजुर्ग महिला आपको दिखाई दे रही हैं, वह अंबाला जिले की शहीद पवन कुमार सैनी की मां 80 साल की सरदारी देवी हैं। 21 साल पहले उनका बेटा भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। लेकिन मां सरदारी देवी मानने को तैयार ही नहीं कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। उनके दिल आज भी वह जिंदा है, वह रोज तीनों टाइम के खाने की थाली लेकर बेटे के कमरे में आती हैं और उसकी फोटो के सामने रख देती हैं। जो कोई भी इस मार्मिक पल को देखता है, उसकी आंखें नम हो जाती हैं।

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मां ने बेटे के कमरे को बनाकर रखा है मंदिर
बता दें कि मां ने अपने बेटे का कमरा आज भी वैसे ही सजाकर रखा है, जैसे  21 साल पहले जवान पवन रखता था। कमरे में जवान की बचपन से लेकर शहादत तक की तस्वीरें व इस्तेमाल की हुईं चीजें रखी हुई हैं। वह रोज कमरे में झाड़ू-पोछा लगाती हैं, और त्यौहार वाले दिन उसको सजाती हैं। जब कभी उनको अपने बेटे की याद आती है सरदारी देवी बेटे के कमरे में चली जाती  हैं। कमरे में कोई जूते पहनकर अंदर नहीं जाता है। परिवार के लोग सुबह-शाम देसी घी का दीया जलाते हैं। घर में कोई भी शुभ काम हो या त्योहार हो, सभी इस कमरे में आशीर्वाद लेने जाते हैं।

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शादी के 24 दिन पहले जवान हो गया था शहीद
परिवार में सबसे छोटा जवान पवन कुमार का जन्म दो फरवरी 1972 नारायणगढ़ के गांव गदौली में हुआ था। उनके पिता किसान ईश्वर राम ने बेटे को पढ़ा-लिखाकर सेना में जाने के लायक बनाया। यमुनानगर से डीजल मैकेनिक में आईटीआई करने के बाद सन् 1990 में आर्मी में भर्ती हो गए। सब कुछ ठीक चल रहा था, यहां तक की घरवालों ने उसकी सगाई तक कर दी थी। जहां 24 सितंबर 1999 को शादी होनी तय थी। लेकिन सारे सपने दुश्मनों तो तोड़ दिए और शादी के 24 दिन पहले दी शहादत की खबर आ गई।

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हंसते-हंसते भारत में के लिए हो गया शहीद
कारगिल के युद्ध में अपने शौर्य का परिचय देते हुए 12 जाट रेजीमेंट के वीर सिपाही पवन कुमार महज 27 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए। 31 अगस्त 1999 को वह वक्त करीब दोपहर के 12 बजे का था, जब इस वीर सपूत ने भारत मां के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था।

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