कई लोगों ने नहीं किया बदलाव
रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों ने अपने स्क्रीन टाइम एक्सपोज़र में कोई बदलाव नहीं होने की सूचना दी, इसी तरह उनकी नींद की आदतों में कोई बदलाव नहीं आया। डॉ फेडेरिको सल्फी, पीएच.डी. स्टूडेंट औऱ रिसर्चर ने कहा- सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक यूज हमारे समाज में विशेष रूप से युवा लोगों के बीच महामारी आपातकाल से पहले से ही एक गहरी जड़ें थी। हमारी राय में मोबाइल ने सोशल डिस्टेंसिंग को औऱ बढ़ा दिया।