झारखंड के दिलचस्प उम्मीदवार, कोई IAS-IPS अफसर रहा, किसी ने छोड़ा लाखों का पैकेज
रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे सोमवार को घोषित हो गए हैं। इस बार कई ऐसे उम्मीदवार भी हैं जो लखपति होते हुए भी चुनावी मैदान में हैं। वहीं झारखंड के इस बार के चुनाव में आईएएस और आईपीएस भी दांव आजमा रहे हैं। हम आपको झारखंड चुनाव के हाई एजुकेटेड कैंडिडेट के बारे में बता रहे हैं। इनमें किसी ने एयरफोर्स अफसर की नौकरी छोड़ी, किसी ने आईपीएस अधिकारी के पद को नकार राजनीति को चुना तो कोई प्रोफेशन से बिल्कुल अलग चलकर यहां तक पहुंच गया.......
Asianet News Hindi | Published : Dec 22, 2019 11:57 AM IST / Updated: Dec 23 2019, 07:48 PM IST
एयरफोर्स अफसर, केएन त्रिपाठी- पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता कृष्णानंद त्रिपाठी उर्फ केएन त्रिपाठी 26 हजार वोट से पीछे चल रहे हैं। वह एक बार फिर डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े रहे हैं। सियासत में आने से पहले वो एयरफोर्स में थे। सेना की नौकरी छोड़कर केएन त्रिपाठी सियासत में आए और साल 2005 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार डालटनगंज सीट पर चुनाव लड़े लेकिन इंदर सिंह नामधारी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2009 में फिर डालटनगंज सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और जीते। विधायक बनने के बाद उन्हें राज्य सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनने का मौका मिला। इस दौरान इन्होंने डालटनगंज के लिए कई काम किये।
36 लाख पैकेज की नौकरी छोड़ी- झारखंड विधानसभा चुनाव गोड्डा क्षेत्र से भाजपा ने वर्तमान विधायक अमित मंडल ने चुनाव में जीत हासिल की है। वह अमित ने दिल्ली स्थित जेपी यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद एमबीए करने लंदन चले गए। वहां उन्होंने ब्रैडफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए की डिग्री हासिल की और फिर जॉब करने लगे। राजनीति में आने के लिए मंडल ने इंग्लैंड में 36 लाख रुपए सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ दी थी। मंडल 2016 में इस सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे। इस बार उनका मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी संजय यादव से हैं।
आईएएस: जेबी तुबिड़- बिहार-झारखंड के पहले आदिवासी मंत्री के पुत्र हैं। वह राज्य के चर्चित IAS अधिकारी रहे हैं। उनकी पत्नी झारखंड की मुख्य सचिव रही हैं। मजबूत राजनीतिक दल का बैनर भी है लेकिन इतना सब कुछ होने पर भी पूर्व आइएएस की राजनीतिक राह मुश्किलों से भरी हुई है। 2014 में भी वे हार चुके हैं। 2019 में उनको बहुत सोच विचार के बाद टिकट मिला है। उनका राजनीति भविष्य दांव पर लगा है। इस बार तो नौकरशाह से नेता बनने की तमन्ना अधूरी रह जाएगी। इस पूर्व अधिकारी का नाम है ज्योति भ्रमर तुविद जो जेबी तुबिद के नाम से अधिक मशहूर हैं। जेबी तुविद चाईबासा से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला झामुमो के मौजूदा विधायक दीपक बरुआ से है।
एमबीए : अम्बा प्रसाद- हजारीबाग जिले के बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र की कांग्रेस उम्मीदवार अम्बा प्रसाद यंग कैंडिडेट हैं, उन्होंने इस चुनाव में पहली बार में ही बाजी मार ली है। वह 28 साल की हैं और एमबीए किया हुआ। अम्बा आईपीएस की तैयारी कर रही थी और प्रील्मस एग्जाम भी दे दिया था लेकिन उनकी किस्मत उन्हें राजनीति में ले आई। बीबीए में ग्रेजुएट अम्बा को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता योगेंद्र साव और मां निर्मला देवी इसी क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। झारंखड के टॉप कॉलेजों में से एक एक्सआईएसएस से पढ़ी अम्बा ने ह्यूमन रिसोर्स का कोर्स किया है। वह आईएएस बनना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने कोचिंग ली। अम्बा ने कुछ महीने ही कोचिंग ली लेकिन उनके पिता पर लगे गंभीर राजनीतिक आरोपों के कारण उन्हें वापस लौटन पड़ा। यहीं से उनका राजनीतिक करियर शुरू हो गया।
आईपीएस : रामेश्वर उरांव- रामेश्वर उरांव ने झारखंड चुनाव में जीत हासिल की है। 14 फरवरी 1947 को पलामू के चियांकी में उरांव जन्मे हैं। वर्तमान में वह रामेश्वर उरांव झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। दो बार सांसद और एक बार केंद्र में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। उरांव ने झारखंड पुलिस के एडीजी पद से 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति के क्षेत्र में नया सफर शुरू किया। वह लोहरदगा के सांसद भी रहने के साथ मनमोहन सिंह की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। मनमोहन सिंह की पहली सरकार में वे आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री थे।