देवघर, झारखंड. धूप में चार कदम भी चलना मुश्किल होता है, लेकिन लॉकडाउन ने गरीब-मजदूरों को हजारों किमी पैदल, साइकिल या रिक्शा से घर जाने को मजबूर कर दिया। ऐसी कल्पना भी आंसू निकाल देती है कि कोई मजदूर अपनी फैमिली को रिक्शे पर बैठाकर हजारों किमी दूर अपने घर को निकल पड़ा है। लेकिन लॉकडाउन में ऐसे सैकड़ों मजदूर दिखाई दे जाएंगे। यह हैं मैकेनिक गणेश मंडल। मूलत: पश्चिम बंगाल के रहने वाले गणेश दिल्ली में काम करते थे। काम-धंधा बंद हुआ, तो भूखों मरने की नौबत आ गई। लिहाजा, उन्होंने 5000 रुपए में पुराना रिक्शा खरीदा और अपने घर को निकल पड़े। रिक्शे पर उनकी पत्नी और साढ़े तीन साल की बच्ची बैठी थी। महिला ने कई बार जिद करते हुए कहा कि वो भी रिक्श खींचेंगी, लेकिन गणेश ने मना कर दिया। करीब 1350 किमी रिक्शा खींचकर वे देवघर पहुंचे, तो यहां कम्यूनिटी किचन में सबने खाना खाया। इसके बाद आगे निकल गए।