मोदी के 'मन की बात' कल्लू मिस्त्री के दिल को छू गई और बेटे के लिए बना दिया गजब खिलौना

हजारीबाग, झारखंड. दुनियाभर में कोरोना फैलाने का दोषी माना जा रहा चीन बॉर्डर पर हेकड़ी दिखाता रहता है। उसे अच्छे से सबक सिखाने प्रधानमंत्री ने चीनी वस्तुओं के इस्तेमाल के खिलाफ अघोषित रूप से एक मुहिम छेड़ दी है। 'आत्मनिर्भर भारत' ( atmnirbhar Bharat) का आह्वान इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है। भारत में चीनी खिलौनों (Chinese toys) का बड़ा मार्केट रहा है। इसे देखते हुए मोदी ने खिलौनों में भी आत्मनिर्भर होने की बात कही थी। हजारीबाग के रहने वाले अलाउद्दीन उर्फ कल्लू मिस्त्री ने इसे दिल से लिया और अपने बच्चे के लिए खुद बैटरी चलित कार ( battery powered car) बना दी। कल्लू बताते हैं कि लॉकडाउन में बच्चे की जिद ने उन्हें यह कार बनाने को प्रेरित किया। देसी जुगाड़ से बनी यह कार आधुनिक तकनीक से निर्मित खिलौना कार से कम नहीं है। इसमें कल्लू ने बैक गीयर भी लगाया है। यह कार बड़ों का भी वजन ढो सकती है। आगे पढ़िए कल्लू का कारनामा...

Asianet News Hindi | Published : Oct 2, 2020 8:29 AM IST
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मोदी के 'मन की बात' कल्लू मिस्त्री के दिल को छू गई और बेटे के लिए बना दिया गजब खिलौना

कल्लू मिस्त्री बताते हैं कि लॉकडाउन में बच्चा दूर खेलने नहीं जा पा रहा था। उसने कहीं से कोई खिलौना कार देखी और वैसी ही मांगने लगा। बड़कागांव ब्लॉक के रहने वाले कल्लू ने बताया कि तभी उनके दिमाग में बैटरी चलित कार बनाने का आइडिया आया। वे बताते हैं कि इस कार के निर्माण ने उनके लिए रोजगार के अवसर भी खोले हैं। वे ऐसी ही कारें और खिलौना बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। आगे पढ़ें देसी जुगाड़ से बनीं कुछ अन्य उपयोगी चीजों के बारे में..
 

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कबाड़ से कमाल: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के निंबोला क्षेत्र के एक किसान के तीन बेटों ने बेकार पड़े पाइपों के जरिये धमाका बंदूक बना दी। दरअसल, किसान खेतों में सूअर और अन्य जानवरों के घुसने से परेशान था।  हर साल उसकी लाखों की फसल खराब हो जाती थी। पटाखे आदि काम नहीं करते थे। इस बंदूक से ऐसा धमाका होता है कि जानवर डरके भाग जाते हैं। बता दें कि यह बंदूक बनाने वाले मनोज जाधव 8वीं, पवन जाधव 7वीं  तक पढ़े हैं। सिर्फ जितेंद्र पवार ग्रेजुएट हैं। इसकी आवाज 2 किमी तक सुनाई पड़ती है।

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यह मामला यूपी के चित्रकूट में रहने वाले दो भाइयों सुरेश चंद्र(49) और रमेश चंद्र मौर्य(45) से जुड़ा है। मऊ तहसील के ग्राम उसरीमाफी के रहने वाले इन भाइयों ने ट्रैक्टर का काम करने वाली सस्ती मशीन बनाई है। इसे 'किसान पॉवर-2020' नाम दिया है। ये दोनों भाई मूर्तियां और गमले बनाते थे। फिर किसानों की समस्या देखकर मशीन बनाने का आइडिया आया। जो गरीब किसान ट्रैक्टर नहीं खरीद सकते...उनके लिए यह मशीन फायदेमेंद है।

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पंजाब के कपूरथला के नानो मल्लियां गांव के किसान जगतार सिंह जग्गा ने देसी जुगाड़ से यह मशीन बनाई है। यह एक दिन में 100 एकड़ में बगैर मजदूरों के धान बो सकती है। यह मशीन ट्रैक्टर के साथ चलाई जाती है।

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उत्तराखंड के नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक के सरना गांव के रहने वाले 14 साल के लड़के ने लॉकडाउन का सदुपयोग किया और बाजार में 2000-2500 रुपए तक में आने वाला 200 वॉट का रूम हीटर सिर्फ 200 की लागत से बना दिया। भास्कर पौडियाल नामक यह  लड़का 9वीं क्लास में पढ़ता है। इस सफल प्रोजेक्ट के बाद अब भास्कर वैक्यूम क्लीनर पर काम कर रहा है। भास्कर ने रूम हीटर बनाने के लिए गत्ता, 100 वाट के दो बल्ब, एक डीसी मोटर, छोटा पंखा, दो मीटर तार, विद्युत रोधी टेप, दो होल्डर और दो स्विच का इस्तेमाल किया।

 आगे पढ़ें कबाड़ से यह जुगाड़ गाड़ी बनाकर दो बच्चों ने दूर कर दी अपने मां-बाप की तकलीफ, यह है वजह

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सुकमा, छत्तीसगढ़. भला 8 और 5 साल के बच्चों से आप क्या उम्मीद करेंगे? यही कि वे खेलें-कूदें और खाएं-पीएं। मौजमस्ती करें। लेकिन यहां इन बच्चों ने लॉकडाउन में स्कूल आदि बंद होने का गजब फायदा उठाया। वे कहीं से कबाड़ में पड़े साइकिल के दो पहिये उठा लाए। अगले छोटे पहिये खुद जुगाड़ से बनाए और देसी तकनीक से यह गाड़ी तैयार कर दी। यह गाड़ी सिर्फ बच्चों के खेलने के काम नहीं आती, यह जंगल से लकड़ियां घर तक लाने में भी मददगार साबित हो रही है।  

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सीकर, राजस्थान. सीकर के रहने वाले गोपाल जांगिड़ और मनीष कोई मैकेनिकल इंजीनियर नहीं हैं, फिर भी देसी जुगाड़ से एक गजब साइकिल बना डाली। इस साइकिल में कार और बाइक दोनों की चीजें असेंबल की गई हैं। यह तस्वीर देखकर तो समझ ही गए होंगे कि साइकिल के पहिये किसके हैं? ये हैं कार के पहिये। इनका बेस है 24 इंच और ऊंचाई 3 फीट। करीब 4 फीट ऊंची साइकिल में पल्सर बाइक के डिस्क ब्रेक का इस्तेमाल किया गया है। यह साइकिल 60 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ती है। मनीष व गोपाल जांगिड ने इस साइकिल में स्पीडोमीटर भी लगाया है, ताकि स्पीड का पता चल सके। इसमें टेल लाइट भी लगाई गई है।

आगे पढ़िए...यह है देसी जुगाड़ से बनी एकदम धांसू साइकिल, डबल चेन पर 54 किमी/घंटे की स्पीड से दौड़ती है

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जमशेदपुर, झारखंड. यह हैं चाईबासा स्थित सुपलसाई के रहने वाले 48 वर्षीय विलियम लेयांगी। जहां आम साइकिलें सामान्यतौर पर 18 किमी/घंटे की रफ्तार पकड़ सकती हैं, वही यह साइकिल 54 किमी/घंटा की स्पीड से दौड़ती है। इसमें जहां दो चेन हैं, वहीं 4 कबाड़ साइकिलों से छोटे-बड़े गीयर-एक्सएल आदि निकालकर असेंबल किए गए हैं। यह साइकिल 6 गीयर पर चलती है। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि विलियम सिर्फ मैट्रिक तक पढ़े हैं। विलियम साइकिल की मरम्मत की दुकान चलाते हैं।

 

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देसी जुगाड़ का यह मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के आमला गांव का है। यहां 9वीं क्लास के बच्चे ने लॉकडाउन में अपनी क्रियेटिविटी का सदुपयोग किया और साइकिल में ही इंजन लगाकर उसे बाइक में बदल दिया।यह है अक्षय राजपूत। इन्होंने कबाड़ी से पुरानी चैम्प गाड़ी का इंजन खरीदा। इसके बाद कुछ दिनों की मेहनत से उसे साइकिल में फिट करके बाइक का रूप दे दिया।

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