पापा अब हम नहीं बचेंगे..आप मां को लेकर आओ, आखिरी बार उनका चेहरा देखना है

रांची, झारखंड. नियम-कायदे अमीर-गरीब और खास-आम सबके लिए बराबर होने चाहिए, लेकिन यहां अफसरों की हठधर्मिता से मां-बाप अपनी बेटी से आखिरी पलों में भी नहीं मिल सके। 28 साल की बेटी बीमार थी। उसने फोन लगाकर कहा-पापा! अब हम नहीं बचेंगे..आप मां को लेकर आ जाओ..मुझे उनका चेहरा देखना है। चैन से मर सकूंगी। इसके बाद पिता रोते हुए अफसरों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन परमिशन नहीं मिली। आखिरकार बेटी की मौत हो गई और वीडियो कॉल के जरिये बेटी का आखिरी बार चेहरा देखना पड़ा। जबकि ऐसे मामलों में चेकअप और पड़ताल के बाद परमिशन दी जा सकती थी। पिता का दर्द था कि जिन अफसरों के वो चक्कर काटता रहा, उन्होंने ही एक मंत्री की सिफारिश पर 8 बसों में सैकड़ों लोगों को भरकर दूसरे जिले में जाने दिया था। आखिरी उसके साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया गया? वे किसी से सिफारिश नहीं कर पाया, इसलिए? (नोट-पहला फोटो मृतका की बेटी और उसके पिता का है, दूसरा फोटो दिल्ली के एक हॉस्पिटल का है। इस महिला को कैंसर है। उसका पति इलाज के लिए  आया था, लेकिन मना कर दिए जाने पर रो पड़ा)

Asianet News Hindi | Published : Apr 4, 2020 5:01 AM IST / Updated: Apr 04 2020, 10:42 AM IST

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पापा अब हम नहीं बचेंगे..आप मां को लेकर आओ, आखिरी बार उनका चेहरा देखना है
रांची की नामकुम हाईटेंशन कॉलोनी में रहने वाले जितेंद्र कुमार नेशनल प्रिंटिंग प्रेस में वेब सेक्शन के इंचार्ज हैं। उनकी बेटी रानी(28) कुछ समय से बीमार थी। उसकी ससुराल बिहार के नवादा में हैं। बुधवार रात जब उसकी तबीयत बिगड़ी, तो उसने पिता को फोन लगा और कहा कि अब वो नहीं बचेगी। इसलिए मां को आखिरी बार देखना चाहती है। रानी की मां सुलेखा ने बताया कि उन्होंने अफसरों से अनुमति मांगी, लेकिन किसी ने उनकी एक बात नहीं सुनी। इसके बाद रानी का निधन हो गया। रानी की 4 साल की बेटी सुहानी ननिहाल में रहती है। वो मां से मिलने फूट-फूटकर रोती रही। आखिरकार अनुमति नहीं मिलने पर सबने वीडियो कॉल के जरिये रानी के अंतिम दर्शन किए। (आगे देखिए लॉक डाउन की कुछ तस्वीरें..)
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यह तस्वीर नई दिल्ली की है। एक मां अपने बच्चे को अच्छे से नहलाते हुए ताकि उसे कोरोना की नजर न लगे।
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यह तस्वीर नई दिल्ली की है। अपनी दिव्यांग बुजुर्ग पत्नी को इलाज के लिए ले जाता शख्स।
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यह तस्वीर नई दिल्ली की है। बच्चों को क्या पता था कि उन्हें खाने के लिए यूं हाथ फैलाना पड़ेगा।
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यह तस्वीर नई दिल्ली की है। ऐसी कई महिलाओं ने उम्मीद भी नहीं की थी, उन्हें खाने के लिए यूं बर्तन लेकर घर से निकलना पड़ेगा।
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यह तस्वीर श्रीनगर की है। खिड़की से बाहर की हालात का मुआयना करतीं दो महिलाएं। उनके चेहरे पर चिंता साफ देखी जा सकती है।
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