नई दिल्ली/रांची/पटना. आकाशीय बिजली मौत बनकर गिर रही है। अकेले गुरुवार को पूर्वी भारत में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 107 लोगों की मौत हो गई। इनमें 83 बिहार और 24 उत्तरप्रदेश से हैं। इससे पहले झारखंड में भी वज्रपात से 8 लोगों की मौत हो चुकी है। बता दें कि जून से सितंबर तक के महीने में बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। ये महीने बारिश के होते हैं। बिहार में इससे पहले एक दिन में इतने लोगों की मौत कभी नहीं हुई। बिहार के डिजास्टर मैनेजमेंट मंत्री लक्ष्मेश्वर राय यही मानते हैं। मौसम विभाग के अनुमान के हिसाब से आकाश में रोज 44,000 बार बिजली कड़कती है। लेकिन हर बार यह घातक नहीं होती। आकाश से यह बिजली 22,400 किमी/प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती है। दरअसल, जब बादल आसमान में काफी ऊंचाई पर मौजूद होते हैं, तब वहां तापमान बहुत कम होता है। इसी बीच बादलों में आधे जमे पानी के कणों में धनात्मक और ऋणात्मक चार्ज पैदा हो जाता है। जब कण आपस में टकराते हैं, तो चिंगारी पैदा होती है। यह बिजली कड़कना कहलाता है। आसमान में हर सेकंड 2000 बार तक गर्जना पैदा होती है। आगे पढ़िए..कैसे बचें आकाशीय बिजली के खतरे से और देखें कुछ हैरान करने वाली तस्वीरें..