आकाशीय बिजली एक इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज है। पानी के जो कण बादलों में ऊपर चले जाते हैं, तो वहां तापमान कम होने से पॉजिटिव चार्ज में बदल जाते हैं। वहीं, जो भारी कण नीचे रह जाते हैं। ये तापमान अधिक होने से निगेटिव चार्ज में बदल जाते हैं। जब ये दोनों आपस में टकराते हैं, तो बिजली कड़कती है। हालांकि ज्यादातर डिस्चार्ज बादलों में ही बनकर खत्म हो जाता है। कुछ ही धरती पर गिरता है। यह तस्वीर अमृतसर की है। स्वर्ण मंदिर के ऊपर से गरजती बिजली। 29 अप्रैल, 2012।