यहां की सीमा लांघना..यानी मौत को दावत देना है.. जानिए क्यों सरकारी कागज लौटा रहे यहां के लोग

रांची, झारखंड. आपको याद दिला दें कि 19 जनवरी को पश्चिम सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने उपमुखिया जेम्स बुढ सहित 7 लोगों की हत्या कर दी थी। इस घटना का खौफ अभी भी इस इलाके में देखा जा सकता है। इसी बीच अब रांची जिले के तमाड़ विधानसभा में पत्थलगढ़ी से जुड़ी एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां हाल में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने 'भारत सरकार कुटुंब परिवार संघ' के बैनर तले आध्यात्मिक आरती सभा का आयोजन किया था। इसमें गांववालों को सरकार के खिलाफ उकसाया गया। पत्थलगढ़ी समर्थकों के कहने पर गांव के करीब 100 परिवारों ने अपने आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी उन्हें सौंप दिए। पत्थलगढ़ी समर्थक ऐसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां सरकारी महकमा आसान से नहीं नहीं पहुंच सकता। हालांकि जो लोग इस आंदोलन के समर्थक नहीं है, उनके बीच खूनी संघर्ष की स्थितियां बन रही हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 29, 2020 12:19 PM IST / Updated: Feb 29 2020, 05:52 PM IST

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यहां की सीमा लांघना..यानी मौत को दावत देना है.. जानिए क्यों सरकारी कागज लौटा रहे यहां के लोग
बताते हैं कि तमाड़ प्रखंड में पारासी पंचायत के बंदासरना, लुंगटू, मानकीडीह और बिरडीह गांव के लोगों ने सरकारी दस्तावेजों का बहिष्कार कर दिया है। गांववालों को ऐसा करने के लिए उकसाने के पीछे पत्थलगढ़ी आंदोलन के नेता गुजरात के कुंवर केशरी का नाम सामने आया है। वो गांववालों को ट्रेनिंग देने आया था। मामला सामने आते ही प्रशासन ने गांवों में धारा 144 लागू कर दी है। वहीं, आरती पर पाबंदी लगा दी है। गुजरात से ट्रेनिंग लेकर आए 'भारत सरकार कुटुंब परिवार संघ' के नेता बैद्यनाथ मुंडा ने दो टूक कहते हैं कि ये नन ज्युडिशियल लोग हैं। इसलिए इन्हें किसी भी सरकारी कागजात की जरूरत नहीं है। ये लोग स्पीड पोस्ट के जरिये राज्यपाल को कागज भेज रहे हैं।
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याद रहे कि 19 जनवरी को पश्चिम सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी थाना के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने उपमुखिया जेम्स बुढ सहित 7 लोगों की हत्या कर दी थी।। बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगढ़ी समर्थकों ने एक बैठक बुलाई थी। इसमें वे गांववालों से वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि कागजात जमा कराने को बोल रहे थे। उप मुखिया जेम्स बुढ़ और कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। इसके बाद पत्थलगढ़ी समर्थक उपमुखिया सहित 7 लोगों को गुस्से में उठाकर जंगल ले गए। बाकी गांववाले वहां से भाग निकले। इसके बाद सभी की लाशें जंगल में मिली थीं।
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झारखंड से शुरू हुए आदिवासियों के पत्थलगढ़ी आंदोलन ने छत्तीसगढ़ तक अपना विस्तार कर लिया है। बताते हैं कि आदिवासियों को जल-जंगल और जमीन पर अधिकार दिलाने पत्थलगढ़ी समर्थक गांववालों को संगठित कर रहे हैं। पत्थलगढ़ी समर्थक बैठकें आयोजित करके लोगों को अपने पक्ष में कर रहे हैं। गांव में पत्थर के बोर्ड लगाकर अपने आंदोलन का ऐलान कर दिया गया है।
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पत्थलगढ़ी समर्थक ऐसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां सरकारी महकमा आसान से नहीं नहीं पहुंच सकता। हालांकि जो लोग इस आंदोलन के समर्थक नहीं है, उनके बीच खूनी संघर्ष की स्थितियां बन रही हैं।
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आदिवासियों में पत्थलगढ़ी एक पुरानी परंपरा है। इसमें गांववाले गांव की सरहद पर एक पत्थर गाढ़कर रखते थे। इसमें अवांछित लोगों को गांव में घुसने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी लिखी होती थी। हालांकि अब इन पत्थरों पर भारतीय संविधान की गलत व्याख्या करके गांववालों को उकसाया जा रहा है।
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