बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली

रांची, झारखंड. इसे कहते हैं  दिमाग की बत्ती जल जाना! बिजली के बिलों को लेकर लगभग सभी प्रदेशों में एक-सी स्थिति है। बिजली के भारी-भरकम बिल देखकर लोगों के अंदर जैसे करंट-सा दौड़ जाता है। ऐसा ही कुछ रामगढ़ के 27 वर्षीय केदार प्रसाद महतो के साथ हुआ। कबाड़ की जुगाड़ (Desi Jugaad) से नई-नई चीजें बनाने के उस्ताद केदार ने मिनी हाइड्रो पॉवर प्लांट (Mini hydro power plant ) ही बना दिया। टीन-टप्पर से बनाए इस प्लांट को उन्होंने अपने सेरेंगातु गांव के सेनेगड़ा नाले में रख दिया। इससे 3 किलोवाट बिजली पैदा होने लगी। यानी इससे 25-30 बल्ब जल सकते हैं। उनका यह प्रोजेक्ट लोगों के आश्चर्य का विषय बना हुआ है। केदार ने अपने ननिहाल दुलमी ब्लॉक के बेयांग गांव में रहकर पढ़ाई-लिखाई की है। इससे पहले केदार ने 2014-15 में पवन चक्की के जरिये बिजली पैदा करने में सफलता पाई थी। बेशक आर्थिक तंगी के कारण केदार कॉलेज नहीं जा सके, लेकिन उनके आइडियाज सब पर भारी पड़ते हैं। आगे पढ़िए इसी जुगाड़ की कहानी...
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 10, 2020 11:02 AM IST

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बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली

केदार कहते हैं कि उनका यह प्रयोग अगर पूरी तरह सफल रहा, तो वो इसे 2 मेगावाट बिजली उत्पादन तक ले जाएंगे। केदार ने 2004 में अपने इस प्रयोग पर काम शुरू किया था। आगे पढ़िए केदार की ही कहानी...

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केदार ने सबसे पहले साइकिल के पैडल से बिजली बनाई। फिर हवा के जरिये। इसके बाद नल के पानी से बिजली पैदा की। केदार कहते हैं कि कोशिश करते रहिए, सफलता जरूर मिलेगी। आगे पढ़ें-यूट्यूब पर वीडियो देखकर नेताजी को आया यह देसी आइडिया, बना दिया 'कोरोना भगाऊ कुकर'

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बालोद, छत्तीसगढ़. बालोदा शहर के पाररास वार्ड के पार्षद अपने वकील मित्र के साथ मिलकर कई लोगों को भाप देने वाला यह कुकर (Corona Preventive Steam Machine) बना डाला। इसका आइडिया यूट्यूब पर वीडियो देखने के बाद आया। इससे सर्दी-खांसी और गले में दर्द से पीड़ित लोगों को बड़ा फायदा हुआ है। इस भाप मशीन का निर्माण पार्षद सरोजनी डोमेंद साहू और वकील  दीपक समाटकर ने किया है। आगे पढ़ें-पत्नी के हाथों में छाले देखकर भावुक हुआ शंकर लुहार, देसी जुगाड़ से बना दी यह हैमर मशीन

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कोरिया, छत्तीसगढ़. यह हैं शंकर लुहार और उनकी पत्नी रीता। ये कोरिया जिले के पटना में रहते हैं। यह कपल परंपरागत तरीके से लोहे की उपयोगी चीजें बनाता है। पहले ये लोहे को गर्म करने से लेकर पीटकर उसे आकार देने का काम परंपरागत तरीके से करते थे। लेकिन अब इन्होंने 7 फीट ऊंची एक ऑटोमेटिक हैमर मशीन बना ली है। इससे कपल का काम सरल और सुविधाजनक हो गया है। पढ़िए आगे की कहानी..
 

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शंकर बताते हैं कि गर्म लोहे पर भारी हथोड़ा मारने से उनकी पत्नी के हाथों में छाले पड़ जाते थे। यह देखकर उन्हें बड़ी तकलीफ हुई। इसके बाद उन्हें यह मशीन बनाने की ठानी।   पढ़िए आगे की कहानी..
 

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शंकर के दो बेटे हैं। एक 12वीं में पढ़ता है और दूसरा 10वीं। पहले परंपरागत तरीके से काम करने में पूरे परिवार को जुटना पड़ता था। कमाई भी बमुश्किल 200-300 रुपए प्रति दिन हो पाती थी। लेकिन इस मशीन ने जिंदगी थोड़ी आसान बना दी है।  पढ़िए आगे की कहानी..

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दम्पती कृषि संबंधी उपकरण जैसे फावड़ा, कोड़ी, कुदाल, हंसिया, नागर लोहा अपनी छोटी सी कार्यशाला में बनाते हैं। हैमर मशीन के निर्माण से काम में गति आई है। पढ़िए आगे की कहानी..

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इस हैमर मशीन के निर्माण में शंकर ने कबाड़ से गाड़ी का पट्टा, घिसा और फटा टायर आदि का इस्तेमाल किया। यह 2 एचपी मोटर से चलती है।

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