उज्जैन. ज्योतिष में शनि को दशम और लाभ स्थान का स्वामी माना जाता है। मनुष्य के जीवन में कर्म और लाभ की स्थिति शनि से ही देखी जाती है। शनि मनुष्य के कर्मों का फल उसे प्रदान करते है और उसे न्याय देते है। यह एक पाप ग्रह है और इसकी दृष्टि जिस भी भाव पर जाती है उस भाव संबंधी फलों में कमी करती है ऐसा विद्वानों का मत है। शनि मेष से लेकर मीन लग्न तक की कुंडली में अलग अलग भाव के स्वामी होकर विभिन्न फल प्रदान करते है। आगे जानिए शनि का 12 लग्नों में क्या फल मिलता है…